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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह दिन अर्थात् एक वर्ष एक महीना और दस दिन लगते हैं। इसका आकार इस प्रकार है लघु सवेतो भद्र तप इस तप में आये हुए अडों को सब तरफ से अर्थात् किसी भी तरफ से गिनने से पन्द्रह की संख्या आती है। इसलिए यह सर्वतो भद्र तप कहलाता है। आगे बताये जाने वाले सर्वतो भद्र तप की अपेक्षा यह छोटा है। इसलिए लघु सर्वतो भद्र तप कहलाता है। (७) वीर कृष्णा रानी- कोणिक राजा की छोटी माता और श्रेणिक राजा की सातवीं रानी का नाम वीरकृष्णा था । वह दीक्षा लेकर अनेक प्रकार की तपस्या कस्ती हुई विचरने लगी, तथा महासर्वतो भद्र तप किया । इस में एक उपवास से शुरु करके सात उपवास तक किये। दूसरे कोष्ठक में सातों अड्डों के मध्य में आये हुए चार के अङ्क को लेकर अनुक्रमसे शुरु किया अर्थात् चोला, पचोला, छः, सात, उपवास बेला और तेला किया। इस प्रकार मध्य के अङ्क से शुरु करते हुए सातों पंक्तियाँ पूरी की । इसकी एक परिपाटी में १९६ दिन तपस्या के और ४६ दिन पारणे के होते हैं अर्थात् आठ महीने और पाँच दिन होते हैं । इसकी चारों परिपाटियों में दो वर्ष आठ
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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