SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह ३ आठवां बोल संग्रह ( बोल नम्बर ५६४-६२३ ) ५६४ - मांगलिक पदार्थ आठ नीचे लिखे आठ पदार्थ मांगलिक कहे गये हैं(१) स्वस्तिक (२) श्रीवत्स (३) नंदिकावर्त्त (४) वर्द्धमानक (५) भद्रासन ( ६ ) कलश (७) मत्स्य (८) दर्पण | साथिये को स्वस्तिक कहते हैं । तीर्थङ्कर के वक्षस्थल में उठे हुए अवयव के आकार का चिह्नविशेष श्रीवत्स कहलाता है। प्रत्येक दिशा में नवकोण वाला साथिया विशेषनंदिकावर्त्त है । शराव ( सकोरे ) को वर्द्धमानक कहते हैं। भद्रासन सिंहासन विशेष है। कलश, मत्स्य, दर्पण, ये लोक प्रसिद्ध ही हैं। ( औपपातिक सूत्र ४ ) ( राजप्रनीय सूत्र १४ ) ५६५ - भगवान् पार्श्वनाथ के गणधर आठ अर्थात् एक ही आचार वाले साधुओं का समुदाय, उसे धारण करने वाले को गणधर कहते हैं । भगवान् पार्श्वनाथ के आठ गण तथा आठ ही गणधर थे । ( १ ) शुभ ( २ ) आर्यघोष ( ३ ) वशिष्ठ ( ४ ) ब्रह्मचारी ( ५ ) सोम (६) श्रीधृत ( ७ ) वीर्य (८) भद्रयशा । (ठाणांग सू० ६१७ ) ( समवायांग ८) ( प्रवचनसारो द्वार ) ५६६ - भ० महावीर के पास दीक्षित आठ राजा आठ राजाओं ने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी । उनके नाम इस प्रकार हैं । (१) वीरांगक ( २ ) वीरयशा (३) संजय ( ४ ) एयक (५) राजर्षि (६) श्वेत (७) शिव (८) उदायन ( वीतभय नगर
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy