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________________ २१६ श्री सेठिया जैनमन्थमाला फल यही हो कि श्रेणिक सरीखे राजा बनें। साध्वियों ने चेलना को देखा, उन्होंने भी संकल्प किया कि हम अगले जन्म में चेलना रानी सरीखी भाग्यशालिनी बनें । उसी समय भगवान् ने साधु तथा सध्वियों को बुलाकर नियाणों का स्वरूप तथा नौ भेद बताए। साथ में कहा-- जो व्यक्ति नियाणा करके मरता है वह एक बार नियाणे के फल को प्राप्त करके फिर बहुत काल के लिए संसार में परिभ्रमण करता है। नौ नियाणे इस प्रकार हैं(१) एक पुरुष किसी दूसरे समृद्धि शाली पुरुष को देख कर नियाणा करता है। (२) स्त्री अच्छा पुरुष प्राप्त होने के लिए नियाणा करती है। (३) पुरुष स्त्री के लिए नियाणा करता है। (१) स्त्री स्त्री के लिए नियाणा करती है अर्थात् किसी सुखी स्त्री को देख कर उस सरीखी होने का नियाणा करती है। (५) देवगति में देवरूप से उत्पन्न होकर अपनी तथा दूसरी देवियों को वैक्रिय शरीर द्वारा भोगने का नियाणा करता है। (६) देव भव में सिर्फ अपनी देवी को वैक्रिय करके भोगने के लिए नियाणा करता है। (७) देव भव में अपनी देवी को बिना वैक्रिय के भोगने का नियाणा करता है। (८) अगले भव में श्रावक बनने का नियाणा करता है। (8) अगले भव में साधु होने का नियाणा करता है। इनमें से पहिले चार नियाणे करने वाला जीव केवली प्ररूपित धर्म को सुन भी नहीं सकता । पाँचवे नियाणे वाला सुन तो लेता है किन दुर्लभबोधि होता है और बहुत काल तक संसार परिग करता है । छठे वाला जीव जिनधर्म
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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