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________________ :१४ जिस समय पुस्तक का दूसरा भाग छप रहा था, हमारे परम सौभाग्य से परम प्रतापी प्राचार्यप्रवर श्री श्री १००८ पूज्य श्री जवाहरलालजी महाराज साहेब तथा युवाचार्य श्री गणेशीलालजी महाराज साहेब का अपनी विद्वान् शिष्य मण्डली के साथ बीकानेर में पधारना हुआ। श्री पूज्यजी महाराज साहेब, युवाचार्यजी तथा दूसरे विद्वान् मुनियों द्वारा दूसरे भाग के संशोधन में भी पूर्ण सहायता मिली थी। तीसरे भाग में भी पूज्य श्री तथा दूसरे विद्वान् मुनियों द्वारा पूरी सहायता मिली है। पुस्तक के छपते उपते या पहले जहां भी सन्देह खड़ा हुआ या कोई उलझन उपस्थित हुई तो उसके लिए अापकी सेवा में जाकर पूछने पर आपने सन्तोषजनक समाधान किया। उपरोक्त गुरुवरों का पूर्ण उपकार मानते हुए इतना ही लिखना पर्याप्त समझते हैं कि आपके लगाए हुए धर्मवृक्ष का यह फल प्राप ही के चरणों में समर्पित है । इनके सिवाय जिन सज्जनों ने पुस्तक को उपयोगी और रोचक बानने के लिए समय समय पर अपनी शुभ सम्मतियां और सत्परामर्श प्रदान किये हैं अथवा पुस्तक के संकलन, प्रफ-संशोधन या कापी आदि करने में सहायता दी है उन सब का हम प्राभार मानते हैं। मार्गशीर्ष शुक्ला पंचमी १६६८ पुस्तक प्रकाशन समिति ऊन प्रेस, बीकनेर प्रमाण के लिए उद्धृत ग्रन्थों का विवरण गन्थ का नाम कर्ता प्रकाशक एवं प्राप्ति स्थान अनुयोग द्वार मलधारी हेमचन्द्र सूरि टीका। आगमोदय समिति, सरत । मन्तगड़दसायो अभयदेव सुरि टीका। ग्रागमोदय समिति गोपीपुरा सरत भागमसार देवचन्दजी कृत । .. . भाचारांग शीलांकाचार्य टीका। सिद्धचक्र साहित्य प्रचारक समिति, सूरत। माचारांग मूल और गुजराती भाषान्तर प्रो रवजी भाई देवराज द्वारा राजकोट प्रिंटिंग प्रेस से प्रकाशित। उत्तराध्ययन शांति सरि वृहद् वृत्तिा प्रागमोदय समिति । उत्तराध्ययननियुक्ति भद्रबाहु स्वामी कृत। देवचन्द्र लाला भाई जैन पुस्तकोद्धार संस्था बम्बई। उपासक दशांग अभयदेव सूरि टीका। भागमोदय समिति सूरत ।
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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