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________________ भी जैन सिद्धान्त बोल संग्रह । २७७ (६) मण्डव- मण्डु की सन्तानपरम्परा से चलने वाला गोत्र । (७) वशिष्ठ- वाशिष्ठ की सन्तानपरम्परा । छठे गणधर सथा आर्य सुहात्ती वगैरह । इन में प्रत्येक गोत्र की फिर सात सात शाखाएं हैं। उन का विस्तार ठाणांग सूत्र में है। (ठाणांग सूत्र ५५१) ५५३- भगवान् मल्लिनाथ आदि एक साथ दीक्षा लेने वाले सात। नीचे लिखे सात व्यक्तियों ने एक साथ दीक्षा ली थी। (१) भगवान् मल्लिनाथ- विदेहराज की कन्या। (२) प्रतिबुद्धि- साकेत अर्थात् अयोध्या में रहने वाला इक्ष्वाकु देश का राजा। (३) चन्द्रच्छाय- चम्पा में रहने वाला अगदेश का राजा। (४) रुक्मी-- श्रावस्ती का निवासी कुणालदेश का राजा । (५) शङ्ख- वाणारसी में रहने वाला काशी देश का राजा। (६) अदीनशत्रु- हस्तिनागपुर निवासी कुरुदेश का राजा । (७)जितशत्रु-काम्पिल्य नगर का स्वामी पश्चालदेश का राजा। भगवान् मल्लिनाथ के पूर्व भव के साथी होने के कारण इन छः राजाओं के ही नाम दिए गए हैं । वैसे तो भगवान् के साथ तीन सौ स्त्री और तीन सौ पुरुषों ने दीक्षा ली थी। इन छ: राजाभों की कथाएं ज्ञाता सूत्र प्रथम श्रुतस्कन्ध के आठवें अध्ययन में नीचे लिखे अनुसार आई हैं-- ___ जम्बूद्वीप, अपरविदेह के सलिलावती विजय को वीतशोका राजधानी में महाबल नाम का राजा था। उसने छः बचपन के साथियों के साथ दीक्षा ली । दीक्षा लेते समय उसे साथी मनगारों ने कहा जो तप आप करेंगे वही हम करेंगे। इस कार सभी साथियों में एक सरीखा तप करने का निश्चय
SR No.010509
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size15 MB
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