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________________ अन्धालय मार श्रकारानुक्रमणिकाबोल नम्बर विषय पृष्ठ बोल नम्बर विषय पृष्ठ ४३५ अकर्म भूमियों छः ४१ / ५१८ अभिग्रह सात २४८ ४३१ अकाल ३८ | ४४८ अमोसली प्रतिलेखना ५३ ४२५ अगुरुलघुत्व गुण २४ | ४२९ अर्थावग्रह के भेद २८ ४६९ अजीव के छः संस्थान ६९ | ४४६ अर्द्धपेटा गोचरी ५१ ४९७ अणुव्रत २००|४६४ अल्पबहुत्व (छःकाय का ६५ ५१२ अ० उ० के कुलकर २३९५१८ अवाह प्रतिमा सात २४८ ४२४ अधर्मास्तिकाय ४|४२८ अवधि ज्ञान के भेद २७ ४३४ अधिक तिथि वाले पर्व ४१ | ४४८ अवलित प्रतिलेखना ५३ ४४८ अननुबन्धी प्रतिलेखना ५३ ४३० अवसर्पिणी के बारे छः २९ ४८८ अनन्त छः . १०० ४९५ अविरुद्धोपलब्धि १०४ ४४८ अनर्तित प्रतिलेखना ५३ ५५६ अविरुद्धानुपलब्धि २९८ ४७७ अनशन इत्वरिक के भेद ८७ ५६१ अव्यक्तदृष्टि निह्नव ३५६ ४५८ अनात्मवान् के लिये ४२५ अव्यवहारराशि निगोद २१ अहितकर स्थान छः ६१ ५६१ अश्वमित्र चौथा निह्नव ३५८ ४८३ अनाभोग आगार ९७ ४९७ असत्य का स्वरूप १९६ ४४५ अनुकम्पा प्रत्यनीक ५०/४९० असम्भव बोल छः १०१ ५२६ अनुयोग के निक्षेप २६२ / ४२५ अस्तित्व सामान्य गुण १७ ५६३ अनेकान्त का अर्थ ४३६ | ४९७ अहिंसा और कायरता १९३ ५५९ अपान वायु ३०४ | ४९७ अहिंसाकीव्यवहारिकता१९५ ४४८ अप्रमाद प्रतिलेखना ५२ ४९७ अहिंसा व्रत १८४ ५०४ अप्रशस्त काय विनय २३३ ४९७ अहिंसा वाद २१० ५०० अप्रशस्त मन विनय २३१ | ४२४ आकाशास्तिकाय ३ ४५९ अप्रशस्त वचन ६२ | ५१७ आगार एकलठाण के २४७ ५०२ अप्रशस्त वचन विनय २३२ | ५१६ आगर दो पोरिसी के २४६ ५६१ अबद्धिक निह्नव ३८४ ४८३ श्रागार पोरिसो के ९७ ४९७ अब्रह्मचर्य का स्वरूप १९७ | ४५१ प्राचार्य के कर्त्तव्य ५५ ४२४ अभव्य और मोक्ष ९५१४ श्राचार्य तथा उपाध्याय
SR No.010509
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size15 MB
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