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________________ २६९ साध्य ७६ सानक १२६ [ ५३ । विषय बोल नम्बर | विषय बोल नम्बर समुदान क्रिया २६६ साधु के द्वारा साध्वी को समुदेशाचार्य ३४१ ग्रहण करने या सहारा देने सम्मुर्छिम ६६ / के पांच बोल ३४० सम्मूर्छिम वायु ४१३ । साधु, साध्वी के एकत्र स्थान सम्यक्त्व १९० शय्या निषद्या के पांच बोल ३३६ सम्यक्त्व सम्यग्ज्ञान ३७४ सम्यग्दर्शन ७६ | साम सम्यग्यचारित्र se सामन्तोपनिपातिकी क्रिया २६४ सम्यग्दर्शन सामान्य सर्वबन्ध सामान्य के दो प्रकार से दो सर्वविरति ५६ सर्व विरति साधु के तीन सामायिक चारित्र ३१५ मनोरथ सर्व विस्तार अनन्तक मामायिक की व्याख्या और उसके भेद १६० सहमाभ्याख्यान ३०२ सहायता विनय के चार प्रकार २३६ सामायिक व्रत के पांच सांशयिक मिथ्यात्व २८८ । अतिचार ३०६ मांसारिक निधि के पांच भेद ४०७, सामायिक शिक्षा व्रत सागरोपम के तीन भेद १०६ | सामायिक स्मृत्यकरण ३०६ सागरोपम सारी पृथ्वी धूजने के तीन सागारी ‘शय्यादाता)अवग्रह ३३४ बोल साता गारव सास्वादान समकित २८२ सातावेदनीय साधर्मिक अवग्रह सिद्ध साधु २७४ । सुख शय्या चार भेद सिद्ध ३३४ २७४
SR No.010508
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1940
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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