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________________ 436 श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला (2) स्थलचरः--पृथ्वी पर चलने वाले जीव स्थलचर कहलाते हैं / जैसे:-गाय, घोड़ा आदि / (3) खेचरः-आकाश में उड़ने वाले जीव खेचर कहलाते हैं / जैसे:-चील, कबूतर वगैरह। (4) उरपरिसर्पः--उर अर्थात् छाती से चलने वाले जीव उरपरिसर्प कहलाते हैं / जैसे:-साँप वगैरह / (5) भुज परिसर्पः--भुजाओं से चलने वाले जीव भुज परिसर्प कहलाते हैं / जैसे:-नोलिया, चूहा वगैरह / / पन्नवणा सूत्र एवं उत्तराध्ययन सूत्र में तिर्यश्च पश्चेन्द्रिय के जलचर, स्थलचर और खेचर ये तीन भेद बतलाये गये हैं और स्थलचर के भेदों में उरपरिसर्प और भुज परिसर्प गिनाये हुए हैं। (पन्नवणा पद 1) (उत्तराध्ययन अध्ययन 36) ४१०-मच्छ के पाँच प्रकारः (1) अनुस्रोत चारी (2) प्रति स्रोत चारी (3) अन्त चारी (4) मध्य चारी (5) सर्वचारी। १-पानी के प्रवाह के अनुकूल चलने वाला मच्छ अनुस्रोत चारी है। २-पानी के प्रवाह के प्रतिकूल चलने वाला मच्छ प्रतिस्रोत चारी है। ३-पानी के पार्श्व अथवा पसवाड़े चलने वाला मच्छ अन्त चारी है।
SR No.010508
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1940
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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