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________________ १०६ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला - १४४ - भय मंज्ञा चार कारणों से उत्पन्न होती है :(१) सव अर्थात् शक्ति हीन होने से । (२) भय मोहनीय कर्म के उदय से । (३) भय की बात मुनने, भयानक वस्तुओं के देखने आदि से । 1 (४) इह लोक आदि भय के कारणों को याद करने से । इन चार बोलों से जीव को भय संज्ञा उत्पन्न होती है । १४५ - मैथुन मंज्ञा चार कारणों से उत्पन्न होती है । (१) शरीर के खूब हृष्टपुष्ट होने से (२) वेद मोहनीय कर्म के उदय से । (३) काम कथा श्रवण आदि से । (४) सदा मैथुन की बात सोचते रहने से । इन चार बोलों से मैथुन संज्ञा उत्पन्न होती है । १४६ - परिग्रह संज्ञा चार कारणों से उत्पन्न होती है : ---- ( १ ) परिग्रह की वृत्ति होने से । (२) लोभ मोहनीय कर्म के उदय होने से । (३) सचित, अति और मिश्र परिग्रह की बात सुनने और देखने से । (४) सदा परिग्रह का विचार करते रहने से । इन चार बोलों से परिग्रह संज्ञा उत्पन्न होती है । ( बोल नम्बर १४२ से १४६ तक के लिए प्रमारण ) ( ठाणांग ४ उद्देशा ४ सूत्र ३५६ ) ( अभिधान राजेन्द्र कोष ७ वां भाग पृष्ठ ३०० ) प्रवचन सारोद्वार गाथा ६२३ )
SR No.010508
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1940
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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