SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 486
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८० श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah. Closing | Colophon : देखे, ऋ० १९२० । इति ऋषिमडल पूजा समाप्ता। शतत्रयाशीभि श्लोक प्रथाअथ । सवत् १९५६, वैशाख कृष्ण ८ मगलवारे लि० । १९२२ ऋषिमडल-पूजा Opening । Closing : Colophon : देखे, ऋ० १९२० । देखें, ऋ० १९२० । इति ऋषिमडलपूजा विधि समाप्तम् । १९२३. ऋषिमंडल पूजा opening : Closing Colophon . देखे, ऋ० १९२० । देखे, ऋ० १६२० । इति श्री ऋषिमडलपूजा समाप्तम् । १९२४ सहस्रनाम-पूजा Opening i Closing । पचपरमगुरु कोनमो उर धरि परम सुप्रीति । तीरथराज जिनन्द जी, चोवीसो धरि चीत ।।१।। सम्वत् विक्रम भूप के जुग गतिग्रह ससि जान । यह रचना पूरी भई मगल मुद सुखथान ।। सिखिरच द कृत पाठ यह वन्यो अनुपम रास, जो पढसी मन लाय के पासी अख्य सुवास ॥ इति श्री जिनसहस्रनाम पूजा सम्पूर्णम् । शुभमस्तु । मिति पौषशुद्ध ८ बार सुभ बुध समत् १९४२ । को पूर्ण हुई सों जयवत प्रवत्तों। श्रीकल्याणमस्तु । शिखिरचद अग्रवाल गोइल गोती कवि श्री वृदावन के लघु सुअन कृत जयवत्तौ। Colophop :
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy