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________________ २२० श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Sıdhhant Bhavan, Arrak. Colophon] इति श्री चतुर्विंशति तीर्थङ्कर पूजा सम्पूर्णम् ॥ १७२१. चौवीस-तीर्थकर-पूजा Opening : Closing : Colophon: देखे, ऋ० १७२० । देखे, क्र. १७२० । इति श्री चउवीस तीर्थकर जी की पूजा सपूणम् । चौधरी रामचद्र जी कृत । सवत् १८३१ वर्षे श्रावणमासे शुक्लपक्ष तिथौ पचम्या। शुभम् । १७२२. चौवीसी-पूजा Opening • Clo ing | Color hon . देखे, क्र. १७१४ । । देखे, ऋ० १७१४ । इति श्री समुच्चय पूजा सम्पूर्णम् । इह पुजन जी की पोयो श्री व्रतजी के उद्यापन मे बावू परमेसरी सहाय जी की भार्या वनसी कुमर ने चढाया गागील गोर मीति फाल्गुन वदी १२ सन् २२८३ साल? १७२३. चतुर्विशति तीर्थकर पद Opening : Closing : Colophon ' आदिदेव रिपम जीनराज ....... त्याची सेव ॥ चौवीसवा श्रीमहावीर - गौतम शीर ॥ इति चतुर्विणति पद मपूर्णम् । Orening . १७२४ चिन्तामणि पूजा जगद्गुर जगदब जगदानददायकम् । जगदग गाय पी ग्यं मयं चिनम् ।।
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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