SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 416
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१० श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah Opening : Closing : Colophon : Opening Closing Colophon : Opening Closing • Colophon : Opening : १६८८. अष्टान्हिका- पूजा आहूय सवोषडिति प्रणीत्वा ताम्यां प्रतिष्ठाप्य सुनिष्ठितार्थान् । वषटू पदेनैव च सन्निधाय नदीश्व रद्वीप जिनान्समच्चै ॥१॥ आरतिय जोवइ कम्मइ धोवइ सग्गाववग्गह लहू लहइ । ज जमण भावइ त सुह पावइ दीण विकासुण भासुइ ||१८|| इति अष्टान्हिकाया पूजा समाप्ता । देखे दि० जि० प्र० ० पृ० १६१ । १६८१. अष्टान्हिका - पूजा मध्ये मडपमालिख्येद्वरतरे पूर्व .. 100 - आयुर्वैर्ध्य इति श्री नदिश्वर पक्तिवध पूजा समाप्ता । १६६० अष्टान्हिका- पूजा तीर्थोदकं भणिसुवर्णघटोऽिपनीत, पीठे पवित्रवपुषं प्रविकल्पितीर्थं । लक्ष्मीसुता गहनवीजविदपंग, सरथापयामि भुवनाधिपति जिनेन्द्रम् ॥ नदीश्वर जिन धाम प्रतिमा महिमा को कहै | द्यात लीन्हो नाम यहीभक्ति शिव सुख करें ॥१०॥ इति नदीश्वर द्वीप अष्टान्हिका जी की पूजा जययाला भाषा संस्कृत सहित सम्पूर्णम् । 1 तदच्च ततः ||१| भवता देषाईतामर्हता ॥ १६६१• अढाईपूजा सरव पख में बडी अठाई परव है, ' 1
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy