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________________ १०० श्री जैन सिद्धान्त 'भवम ग्रन्थावली । Shri Devakumar Jain Oriental library, Jain Sidhant Bhavan, Arrah १३१४. पद्मावतीकवच Opening : ॐ अस्य श्री पचमुखी पद्मावतीकवचस्तोत्रस्य श्रीरामचद्रऋषिकृत अनुष्टुपछन्द' पचमुखीपद्मावती देवता ॐ अमुनिसुव्रति इति बीज ॐ चिन्तामणिपानाय इति शक्ति ॐ धरणेन्द्र इति कोलक श्री रामचन्द्र तव प्रसादसिद्धयर्थं मकललोकोपकागर्थे पंचमुखीपद्मावती स्तोत्र जपे विनियोग. । Closing : नवबार पठेन्नित्य राजभोग समाचरेत् दसबार पठेन्नित्य त्रैलोक्य ज्ञानदर्शनम् । एकादश पठेहित्य सर्वसिद्धिर्भवेन्नर कवस्मरणे व महावल मवितम्। Colophon: इति पचमुखीपद्मावतीकवच सपूर्णम् । १३१५. पद्मावतीकवच Opening , Closing colophon: ॐ अस्य श्री मत्रराजस्य परमदेवता पद्मावतीचरणावुजेभ्यो नम । ॐ ह्री श्री पद्मावत्यै महाभैरवी नमः । इति पदमावतीकवच संपूर्णम् । १३१६. पद्मावतीकवच Opening • Closing : देखें-*० १३१४ । साक्षात् शिव पद का दाता ये हाट मंत्र है, नित्य जपने से मन मंगल होय है। नहीं हैं। Colophone
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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