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________________ ६८ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah Closing : Colophon १३०८ मंत्रयंत्र Opening : ॐ क्रो को कौ क्रौ क्रौ सही अमुकी नामान्याः पतत्याः सर्वत्रजयसौभाग्य प्रियवल्लभत्व पतिपूजादिसौख्य Closing : Colophon Opening Closing Colophone : ॐ छो छोछो छ. अस्मिन्पात्रे अवतर अवतर स्वोहाः । विधि || पेडा ३ ॥ वार १०८ ॥ मत्रसो पठको आनाहीबोलेता ''. । नही है । Opening • इति णमोकार मंत्र माहात्म्य समाप्तम् । ... १३१० पद्मावतीदडक ॐ नमो भगवते त्रिभुवन सकरी । मर्वाभरणभूषिने पद्मासने पद्मनयने || १ || esed नीबू को चूहा के विलमे गाडिये उपर जूती तीन नाम लेके मारिये दिन तीन ताई जूती मारिये नाम लेता जाईये । इति मत्र यत्र समाप्तम् । १३०६. नमोकारमंत्र कहा सुर तरु कहा चित्रावलि कामधेनु कहा रसकुप कहा पारस के पाए ते । कहा रसपायें औ रसायन कमाये कहा कौन काज होते तेरो लक्ष्मी कँ आऐ ते ।। कान्हबल धाईवेको कान्ह के कमाईवे को कान्हबल लगाइवे को काहु के उधार के । कहत विनोदीलाल जपतही तिहुकाल मेरे है अतुलबल मंत्र नवकार को ॥ -।
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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