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________________ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts (Stotra) ६६९ काष्ठासंघ गुर्वावली Opening Closing t Colophon. Opening. Closing Colophon : Opening Closing Colophon Opening Colsing णम् । Opening सम्प्राप्त ससारसमुद्रतीरं, जिनेन्द्रचन्द्र प्रणिपत्य वीरम् । समीहिताद्यं सुमनस्तरुणा, नामावलि वक्ष्मित मा गुरुणाम् ॥ •••••••••ससदि विचित्याश्वस्थ महिमातटिमा रोपि निपु नही है । ७००. लघु सहस्त्र नाम नम तोक्यनाथाय सर्वज्ञाय महात्मने । वक्ष्ये तस्य नामानी मोक्षसौख्याभिलाषया । ॥१॥ नामाष्टसहस्राणि जे पठति पुन पुनः । ते निर्वाणपद यान्ति मुच्यते नात्रससय ॥ ४० ॥ इति लघु सहस्रनाम सपूर्णम् । ७० १. लघु सहस्त्र नाम स्तोत्र २४३ देखें, ऋ० ७00 1 देखें, ऋ० ७00 1 इति श्री वीतराग सहस्रनामस्तोत्र सम्पूर्णम् । ७०२. लक्ष्मी बाराधन विभि ॐ रो श्री ही क्ली महालक्ष्मी सर्वसिद्धि कुरू कुरू स्वाहा । इस मंत्र सो चावल अक्षत मत्रिके जिस्म राख सरे वस्तु घटं नही । ७०३. महालक्ष्मी स्तोत्र आद्य प्रणवततश्रीमायाकामाक्षरं तथा । महालक्ष्मी नमश्चति मत्रोऽय दशवर्णक ॥१॥
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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