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________________ २२३ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts (Stotra) Opening : ६२५. भक्तामर स्तोत्र मंत्र ॐ णमो अरिहताण ।। नमो जिणाण ।। ॐ णमो तुहिजिणाण ।३। ॐ नमो परमोहि जिणाण ।। ॐ णमो तु सवों हि जिणाण ।। अय मयो महामत्र सर्वपापविनाशक । अप्टोत्तरशत जप्तो धत्ते कार्याणि सर्वश ॥ नही है। Closing | Colophon: ६१६. भक्तामर ऋद्धिमंत्र Opening ! देखें-० ६०७ । Closing : देखें-मा० ६०७ । Colophon: इति मानतुनाचार्यविरचिते भक्तामरस्तोत्र सिद्धि मत्र यत्र विधि विधान सपूर्णम् । विशेष—इसमे सभी ऋद्धिमत्रचित्र रगीन हैं । ६२७. भक्तामर ऋद्धिमंत्र Opening : ॐ ह्री मह णमो जिणाण । Closing ! ईप्टार्थसपादिनी समापातु जिनेश्वरी भगवती पद्मावती ___ देवता ।१२। इत्याशीर्वाद । Colophon: इति पद्मावती पूजा चारूकीतिकृत मपूर्णम् । मिती माघ वदी ३० वार बुध सवत् १९६६ मारा नगरमध्ये लिखत भट्टारक मुनीन्द्रकीति अगरेजी राजधानी मै काष्ठामधे माथुरगच्छे पुस्करगणे लोहाचार्याम्नाये भट्टारक राजेन्द्रकीर्ति तत्प? भ0 मुनीन्द्रकीर्ति समये। विशेष—इसमे पद्मावती पूजा भी है। ६२८. भक्तामर ऋद्धिमंत्र Opening : • ति जन सहसा ग्रहीतु। अथ रिद्धि-ॐ ह्री अहं नमो हिति नान ... "
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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