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________________ ७७ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts (Dharma, Darsna, Acara) मव माहि जीव को नाम है जीवभाव हम सरदहा ॥ Colophon • इति श्री द्यानतराय जी कृत चर्चाशतक सम्पूर्णम् । मवत् १९२६ श्रावण शुक्ल अष्टम्या चद्रवासरे लिखि कर्मणा पूर्णीकृ. तम् । शुभमस्तु कल्याणमस्तु । १६५. चर्चासंग्रह Closing Opening : धर्मधुर घर आदि जिन, आदिधर्म करतार । नमू देव अघहरण ते, सब विधि मगलसार ।। विद्यानामचतुर्दश प्रतिदिन कुरुवतनोमगलम् । Colophon: इति चतुर्दश विद्यानाम मपूर्णम् । मिती ज्येष्ठ सुदी ५ सवत् १८५४ शुभस्थाने श्री अटेर मे लिय्यौ ग्रथप्रति श्री लाला जैनी फनेच सघई जी की पैतैवासी सुखवाम शुभस्थाने श्री भैरोडजी मे लिखाई अथ चर्चासंग्रह जी। १६६. चर्चा समाधान Opening · Closing | जयो वीर जिनचद्रमा उदे अपूर्व जासु । कलियुग कालेपाखमय, कीनो तिमिर विनास ॥ देवराज पूजत चरण, अशरणशरण उदार ।। कहू सघ मगलकरण, प्रियकारिणी कुमार ।। इति श्री चरचा समाधान प्रथ सपूर्णम् । Colophon: १६७. चर्चा समाधान Opening Closing : Colophon . देखे-ऋ० १६६ । देखे- ऋ० १९६ । इति श्री चरचा समाधान ग्रथ सपूर्ण। पत्र १३२ । दोहा सुत श्री विरनलाल के, लेखक दुरगा लाल ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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