SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 225
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts (Purāpa, Carita, Kathā ) Opening : Closing : Colophon⚫ Opening Closing : Colophon⚫ २५ ६३. मैथिलीकल्याण नाटक 'य' प्रस्तोता त्रिलोक्या प्रतिहतविपदां समताना कृतीना, यच स्तोता स्वय च स्तुतिशतपदवी वाग्वधूवल्लभानाम् । कल्याणभागिश्रियमतुपरमामाप्तवानाप्तरूप कल्प सोय भद्र विधेयाद्दशरथतनय साधुवो रामभद्र ॥ एतन्नाटक रत्नमुत्तमगुण विभ्राजते मैथिली, कल्याण भृशमद्वितीयमपि सत्तेषु द्वितीय मतम् । सर्वत्रप्रथिता प्रबधमणय श्री सूक्तिरत्नाकर, प्रख्यातापरनामधेय महत श्री हस्तिमल्लस्य ये ॥ समाप्तोऽय मैथिली कल्याणनाटकम् इति शुभम् । सवत् १९७२ विक्रमे आषाढ शुक्ला १४ रखो श्री ऋषभादितीर्थकरा श्रेयस्करा सन्तु । आषाढ शुक्लपक्षे हि चतुर्दश्या रवौ लिखे - । नत्रर्पान्दु वर्षे च सीतारामकरेण सत् ॥ द्रष्टव्य- जि० र० को०, पृ० ३१५ । _६४६ मेघेश्वर चरित्र सिरिरिसह जिणेन्दहु युवसयइन्दहु भवतम चदहु गणहरहु | पयजुयलुण वेपिणु चित्तिणि हेपिणु चरिउ भणमि मेहेसरहु || पुणु उहु तीयउ अइवरिणीयउ जिणसासन रहघूर धरणु । इति रयणोवमु पालियकुलकमु दुत्थििहजणदुह भरहरणु ||१३|| इय मेहेसर चरिए | आइपुणस्स सुत्त अणुसरिए सिरिपडिय विय ॥ सिरिमहाभवखेमसीह साहुणामणाम किए ॥ अथ सवत्सरेऽस्मिन् श्री नृप विक्रमादित्य गताब्द १६०६ वर्षे मार्गसिर शुदि दुतिया श्री कुरूजागलदेशे श्री महितगढ़ साहिराज्य प्रवर्त्तमाने श्री काष्ठासचे माथुरगच्छे पुष्करगणं भट्टारक श्री कुमारसेनदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री प्रतापसेनदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री महासेनदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री विजयसेनदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री नयसेनदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री आससेनदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री अनन्तकीर्तिदेवा तत्पट्टे भट्टारक श्री कुमारकी तिदेवा तत्पट्टे
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy