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________________ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhraigha & Hindi Manuscripts ( Purina, Carila, Kalhi) ३२. धन्यकुमार चरित्र Opening . श्रीमन गिन नता गवलज्ञानलोचनम् । वरे धन्यामारभ्य न गच्यानुरजनम् ॥ . Closing : ना मि. पगैत्य ममपन्या त दृष्ट्वा केवले क्षणम् । फनन्यापनगम गितामनमधिस्थितम् ॥ । Colophon . उपलब्ध नही। द्रप्टच्य-जि० २० को०, पृ० १८७ । ३३. धन्यकुमार चरित्र Opening . देखें, पा० ३२ । Closing इह निचोर (2) इन अन्य को यही धर्म को मूर (मूल) । मुद्धातम ल्यो नापे मिट कर्म अकूर ॥ ६ ॥ Colophon - इति धनकुमार चरित्र नम्पूर्णम् । मवत् १९३२ चैत्र वदि ७ शुक्रवार शुभम् । एलोफ मच्या १२२४ । ३४. धन्यकुमार चरित्र Opening: देखें, ३० ३२। Closing . धन्यवूमार चरित्र यह पूरन भयो विशाल । (प) ढत सुनत सुख उपजे आनद मगलकार ।। Colophon: उति धन्यकुमार चरित्र सम्पूर्णम् । ३५ दुधारस द्वादसी कथा Opening . वीनवे उग्रसेन की लाडली कर जोरिके नेमि के आगे खडी। तुम काहे पिया गिरनार वैठो हमसेती कहो कहा चूक परी ॥ Closing : कथाकोप मे जो कहा, ताको देखि विचार। सेवक भापा मनधरी, पढो भव्य चितधार ।। Colophon • इति दुधारस द्वादशी कथा समाप्ता। लिख्यता प्रभूदास अग्रवाला । मिति वैशाख सुदी ६ शुक्रवार सवत् १९१८ ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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