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________________ जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली ( संस्कृत, प्राकृत, अपभ्र श एव हिन्दी ग्रन्थ-सूची) परिशिष्ट (पुराण, चरित, कथा) Opening : Closing : Colophon १. आदिपुराण श्रीमते सकलज्ञानसाम्राज्यपदमीयुपे । धर्मचक्रभृते भत्रे नम 'ससारमीयुषे । यो नाभेस्तनयोऽपि विश्वविदुषा पूज्य स्वयम्भूरिति त्यक्त्वाशेषपरिग्रहोऽपि सुधीया स्वामीति य शब्द्यते । मध्यस्थोऽपि विनेयसत्वसमितेरेकोपकारीमतो निनोऽपि वुधरुपास्यचरणो य सोऽस्तुव शातये ।। इत्यारे भगवज्जिनसेनाचार्यप्रणीते त्रिषष्टिलक्षणमहापुराणसग्रहे प्रथमतीर्थकर चक्रधरपूराण परिसमाप्तम् । सप्तचत्वारिंशतितम पर्व । पुस्तक आदिपुराणजी कर भट्रारक राजेन्द्रकीति जी को दिया लखनऊ में ठाकुरदाम की पत्नी ललितपरसाद की बेटी ने मिति माघ वदी स० १९०५ के साल मे। द्रष्टव्य-प्र. ज. सा०, पृ० १०२। जि० र० को०, पृ० २६ । आमेर भडार के ग्रथ, पृ० ११॥ रा० सू०, पृ. २६ । दि. जि.ग्र. र०, पृ० १। Catg. of k.&ukt Me., prge-624 Opening Closing Colophon . . २. आदिपुराण देखें, ऋ० १। देखे, क्र. १। इत्याचे भगवद्गुणभद्राचार्यप्रणीते त्रिपप्टिलक्षणमहापुराणे
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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