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________________ जम्बूस्वामी चरित्र जम्बुकुमार मामाकी कथाको सुनकर उत्तर देने के लिये एक रमणीक कथा कहने लगे.. जम्बूस्वामीकी कथा। एक अति दरिद्री मजदूर था जो वनसे ईंधन काकर व वेचकर पेट भरता था। एक दिन वनसे कंधेपर भारी बोझा काया था। दोपहरको उस भारको यत्नसे रखकर अपने घरमें ठहरा । -वह बिचारा बहुत प्यासा था। ताल्लू सुख गए थे। बोझा लानेका भी कष्ट था। भार रखकर एक वृक्षक नीचे शांतिको पाकर क्षण मानके लिये सो गया। नीदमें उस मजदूरने स्वप्न देखा कि वह राज्यपदपर बिगजित है। मणि मोतीले जड़े हुए सिंहासनपर बैठा है। वारवार चमर ढर रहे हैं । बन्दीजन विरह वखान रहे हैं। हाथी, घोड़े आदि बहुत परिवार हैं । फिर देखा कि राजमहल में बैठा है। चारों तरफ स्त्रियां बैठी हैं। उनके साथ हास्य-विनोद होरहा है। इतनेहीमें उसकी भूखसे पीड़ित स्त्रीने लाड़ीसे व पैरोंसे ताडकर उसको जगाया। यकायक उठा। उठकर विचारने लगा कि वह राज्यलक्ष्मी कहां चली गई ! देखते देखते क्षण मात्र में नाश होगई ! हे मामा | इसी तरह स्त्री आदिका संयोग सब स्वपके समान क्षणमात्रमें छूटनेवाला है व इनका संयोग प्राणीके प्राणोंका भपहरण करनेवाला है। ऐसा समझकर कौन बुद्धिमान दुःखोंके स्थानमें अपनेको पटकेगा। १७४
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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