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________________ जम्बूस्वामी चरिक हैं, आप क्यों मरण चाहते हैं, माप तो विद्याघर हैं, आपको किस बातकी कमी है ? उस मुर्खने स्त्रीकी बातपर ध्यान नहीं दियाजाकर कैलाशके शिखरसे पड़ा तो मार्तध्यानसे मरकर फिर वही लाल मुखका बन्दर पैदा होगया। हे सखियो ! जैसे मुर्ख विद्याधरने स्वाधीन सम्पदाको छोड़कर मरण करके पशु पर्याय पाई वैसे हमारे स्वामीका व्यवहार है। महारमणीक सर्व संरदाओंको छोड़कर भागेकी वांछासे तर करने जाते हैं, फिर ये संपदाएं मिले या न मिले, क्या भरोसा है। जम्बूस्वामीकी कथा। ___ जम्वृस्वामी कनकनीकी कथाको सुनकर उसको उत्तर देनेके लिये एक कथा कहने लगे। विन्ध्याचल पर्वतपर एक बलवान कोई बंदर था । वह बड़ा कामी था। वह वनने बंदरोंको मार डालता था। ईर्षावान भी बहुत था। अपनी बंदरीसे जो बच्चे होते थे उनको भी मार डालता था। अकेला ही काम क्रीड़ा करते हुए तृप्त नहीं होता था। एक दफे उसीका एक बंदर पुत्र हुआ, वह उसके जानने में न भाया। किसी तरह बच गया। जब वह पुत्र युवान हुमा, तब कामातुर होकर अपनी माताको स्त्री मानकर इमण करनेको उद्यत हुमा । तब उसके पिता वंदरने देख लिया और उसके मारनेको क्रोध करके दौड़ा। उस युवान बंदरने पिताको दांतोंसे क. नाखूनोंसे काटा। दोनों पितापुत्र बहुत देरतक परस्पर नख व दांतोंसे काटकाटकर युद्ध करने लगे । घबड़ाकर बूढ़ा बंदर भाग निकला १५५
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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