SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जम्बूस्वामी चरित्र उचित है । कर्तव्य व कर्तव्यका विचार न करके पिताके वचनका उल्लंघन कर वह दुष्ट घर से उदास होकर राजगृही नगरको चल दिया। वहां कांपलता नामकी वेश्या बहुत सुंदर काम भावसे पूर्ण थी, उसके रूपमें भासक्त होगया । उस वेश्या के साथ इच्छित भोगोंको भोगने लगा । वह कामी विद्युश्वर चोर रात दिन चोरी करके जो धन लाता है वह सब वेश्याको दे देता है । जम्बूस्वामी जन्मस्थान । भगवान गौतमके मुखसे इस प्रश्नके उत्तरको सुन कर राजा श्रेणिक बहुत संतुष्ट हुआ। फिर प्रश्न करने लगा - हे भगवान् ! बापने जो इस विद्युन्माली देवकी कथा कही थी, उसमें कहा था कि मासे सातवें दिन यह इस पृथ्वीतलपर जन्मेगा, सो यह किस पुण्यवानके घरको अपने जन्म से भूषित करेगा ? जगत के स्वामीने उसके प्रश्न यह समाधान किया कि इसी राजगृह नगर में धनसम्पन्न अर्हदास सेठ रहता है जो जैनधर्म में तत्पर हैं। उसकी स्त्री स्वरूपवान जिनमती नामकी है, जो धर्मकी मूर्ति है, महान साध्वी है । जैसे उत्तम विद्या मानवको सुखदाई होती है, वैसे वह सुखको देनेवाली है । कहा है: तस्य भार्या सुरूपाया नाम्ना जिनपती स्मृता । धर्ममूर्तिर्महासाध्वी सद्विद्येव सुखावहा ॥ ५२ ॥ उस जिनमती के पवित्र गर्भमें पुण्योदयसे यह अवतार धारणकरेगा । यह सम्यग्दर्शन से पवित्र है । इसका आत्मा भवश्य मोक्षरूपी स्त्रीका स्वामी होगा । ८५
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy