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________________ जम्बूस्वामी चरित्र पुद्गल इसलिये कहते हैं कि उसमें पुरण और गठन होता है। परमाणु मिझकर स्कंध बनते हैं, स्कंघसे छूटकर परमाणु बनते हैं तथा परमाणुओंमें भी पुरानी पर्यायका गलन व नई पर्यायका प्रकाश होता है। पुद्गलों के मूल दो भेद हैं, परमाणु और स्कंध-परमाणुओंमें रूमा तथा स्निग्ध गुणके कारण परस्पर बंध होनेसे स्कंध बनते हैं। दो मंश मधिक चिकना या रूखा गुण होनेसे बंध होजाते हैं, जैसे १२ अंश चिकना परमाणु १४ अंश चिकने या रूक्षमें मिलजायगा या १५ मंश रूखा परमाणु १७ मंश रूखे या चिकने परमाणुमें मिल जायगा। जिसमें अधिक गुण होगा वह दुसरे परमाणुको अपने रूप कर लेगा। जघन्य अंशधारी चिकने व रूखे परमाणुका बन्ध नहीं होता है। स्कंधोंके भनेक मेद दो परमाणुमोंके संघसे लेकर महा स्कंध पर्यंत हैं। छाया, धूप, अंधेरा, प्रकाश मादिके स्कंध होते हैं। पुद्गलोंके छः भेद किये गए हैं-१ सूक्ष्म सूक्ष्म, २ सूक्ष्म, ३ सूक्ष्म स्थूल, ४ स्थूल सूक्ष्म, ५ स्थूल, ६ स्थूल स्थूल । सूक्ष्म सूक्ष्म एक भविभागी पुद्गका परमाणु है जो देखने में नहीं माता । भनुमानसे ही जाना जाता है। सूक्ष्म पुदलोंका दृष्टांत कार्मणवर्गणा है, जिसमें अनंत परमाणुओंका संयोग है तो भी वह इन्द्रियोंके गोचर नहीं है। चार इन्द्रियोका विषय शब्द, स्पर्श, रस, गंध सूक्ष्म स्थूल हैं। ये चारों भांखसे नहीं दिखलाई पड़ते हैं । स्थूल सूक्ष्म पुदल छाया, प्रकाश, भातप मादि हैं, जो मांखसे दिखलाई पडते हैं परन्तु उनको न तो ग्रहण किया जा सक्ता है न उनका घात किया जा सकता है। वहनेवाले
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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