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________________ जम्बूस्वामी चरित्र रहे हैं। खेतों में बडे स्वादिष्ट धान्य पक रहे हैं । सर्व प्रकारकी सर्व रोगनाशक व पौष्टिक औषधियां प्रजाके सुखके लिये प्रगट होरही हैं। भगवान के प्रतापसे दुर्भिक्ष यादि संकट इसीतरह मूलले नाश हो गए हैं जैसे सूर्यके उदयसे अंधकार विला जाता है । हे महाराज ! श्री महावीर जिनेन्द्रके बिराजने से एकसाथ इतने चमत्कार हो रहे हैं कि मैं इस समय हनेको असमर्थ हूं । श्रेणिकका वीर समवसरण में आना । इस तरह बनपालके मुखसे सुखपद वचन सुनकर महाराज श्रेणिकका शरीर मानन्दरूपी अमृतसे पूर्ण होगया । इसी समय श्री जिनेन्द्रकी भक्ति भावसे सिंहासन से उठकर भगवान के सम्मुख मुख करके सात पग चलकर श्रेणिकने तीन दफे नमस्कार किया । तथा अपने सर्व परिवारको लेकर श्री महावीर भगवानकी पूजाके लिये जाने की तय्यारी करने लगा | भक्तिभाव से पूर्ण होकर घर्मकी प्रभावन के लिये बड़े ठाठनारसे वंदना के लिये चला । सेनाको साथ लिया उसका क्षोभ हुआ, आनंदप्रद बाकी ध्वनि सब दिशाओंमें छाई । हाथी, घोड़े, रथ, पैदलोंकी सेना साथ थी। हजारों ध्वजाएं दूर से चमकती थीं । महान साज-सामान के साथ महाराज श्रेणिक सम्मवसरण में पहुंचे । वह समवसरण सूर्य मंडलकी प्रभाको जीतनेवाला शोभायमान होरहा था । प्रथम ही मानस्थंभोंकी प्रदक्षिणा देकर पूजा की । फिर समवसरण की शोभा को क्रमशः देखते हुए महान आश्चर्यमें भर गया । ३०
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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