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________________ जस्यूस्वामी चरित्र - समाधिमाण घाण करती है। अपनी धर्मपत्नी सहित श्रावक भी मुनिके समान सपार शरीर भोगोंसे विरक्त हो समाधिमरण स्वीकार कर लेते हैं। चारों ही सम्यक्ती महात्मा शरीरको त्यागकर स्वर्गमें देव उत्पन्न होते हैं । पश्चात् उस कलंकी राजाके ऊपर भी विजली गिरती है। उसकी शय्या व गृह भादि सर्व नाश होजाता है। उसी क्षणले ही दही, दूध, घी भादि विला जाता है। जैसे पापड़े उदयसे सम्पदा विला जाती है। छठे कालका वर्णन । उस समयले दुखमा दुखमा नामका छठा झाल प्रारम्भ होजाता है। उस समय भोग सामग्री नाश होजाती है। तब उत्कृष्ट आयु सोलह वर्षकी रह जाती है । मानवों के शरीरकी उत्कृष्ट ऊँचाई एक हाथ ही होजाती है। मध्यम व जघन्य भायु व ऊँचाई आगमसे जानना योग्य है । पशुओंकी भी भायु व शरीरकी ऊँचाई बागमसे जानना चाहिये । इस कालमें मनुष्य तथा पशु सब दुखोंसे पीड़ित होते हैं । फल आदिका आहार करते हैं। भूमि विलोंमें रहते हैं। मनुष्य वृक्षकी छालले कपड़े पहनते हैं। परस्पर विरोध रखते हैं। पशु भी महान दुष्ट होते हैं । रात दिन लड़ते रहते हैं । पापी व निर्दयी प्राणी धर्मबुद्धिके अमावसे व दुष्ट कालके प्रभावसे एक दुसरेको मार करने फल खाते हैं। वर्षभरमें वर्षा कभी कहीं होती है। प्राणियोंमें तृष्णा इतनी बढ़ जाती है कि कभी वह शांत नहीं होती है। पापकर्मके उदयसे इसतरह छठे काल के प्राणी बड़े कष्टप्से इक्कीशहजार वर्ष पूर्ण करते हैं।
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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