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________________ उत्पन्न किया है। उसने यमुना नदीतट पर विश्रांतिके लिये घाट व स्थान बना दिया है, लोग स्नान करके वहां विश्राम करते हैं। वह घाट स्वर्गकी शोभाको विस्तार रहा है । उनके साथ मुख्य कार्यकर्ता गढ़मल्ल साहु हैं, यह वैष्णवधर्म रत हैं। गंगादि तीर्थ जाते हैं, धनवान हैं व परोपकारी हैं, जिससे यशस्वी हो रहे हैं। इन दोनों बड़ी प्रीति है । खजानेकी शोभा इनसे है। ___ अकबरके समय जैन भट्टारक। काष्ठासंघ माथुरगच्छ पुष्करमणमें लोहाचार्य आदि अनेक माचार्य हुए हैं । उनहीके माम्नायमें भट्टारक मलयकीर्ति देव हुए। उनके पीछे गुणभद्रसरि भट्टारक हुए । उनके पद पर सूर्यके समान तेजस्वी भानुकीर्ति भट्टारक हुए । यह भनेक शास्त्रोंके पारगामी थे। भव्य जीवरूपी कमलों को प्रफुल्लित करनेको सूर्य ही थे। उनके पद पर श्री कुमारसेन भट्टारक हैं, जो बड़े शांत व पतापी चंद्रमाके समान पट्टरूपी समुद्रको बढ़ानेवाले है और ब्रह्मचर्य व्रतसे कामकी सेनाको जीतनेवाले हैं। अलीगढ़के धनिक टोडरमल श्रावक । इनके समयमें काष्ठासंघको माननेवाले प्रतापशाली अग्रवाल वंशज गर्ग गोत्रधारी कोल (अलीगढ़) नगरनिवासी साधु (साहु) मदन हैं, उनके छोटे भाई साधु आसू हैं, उनके पुत्र जिनधर्ममें गाढ़ रुचिवान श्री रूपचंद हैं। उनके पुत्र अद्भुत गुणोंके धारक साधु पासा हैं, जिनका यश सर्व साधुगण गाते हैं । दानी, यशस्वी, सुखी हैं व जैन धर्ममें बड़े प्रेमालु हैं। उनके विख्यात पुत्र साधु
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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