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________________ १७ सतरवें बोल लेश्या छः ६ : कृष्ण लेश्या १ नौल लेश्या २ कापीत ने या तेजुल ज्या ४ पद्म ले च्या ५ शक्ल ले श्या ई १८ पठारमें बोले दृष्टि ३ सौन: सम्यक् दृष्टि १ मित्था दृष्टि २ सममिथ्या दृष्टि ३ १८ उगणीसमें बोले ध्यान ४ च्यार:-- पार्तध्यान १ रौद्रध्यान २ धर्मध्यान ३ शक्लध्यान ४ २० बौसमें बोले षट द्रव्यको जांच पयो धर्मास्तिकायनें पांचा बोला पोलखोजे :द्रव्यथको एक द्रव्य खेवयों लोक प्रमावे काल थको पादि पन्त रहित भावयौ परूपी गुरुयको जीव पुदगलने हालवा चालवाको साभा, अधर्मास्तिकोयने पांचा बोला पोलखोज:द्रव्यथौ एक द्रव्य खेत्रयो लोकप्रमाणे काल थको धादि अन्तरहित भाव यो परूपी गुपथौ थिररहवानों साझा, पाकाशास्तिकायन : पांच बोलकरौ पोलखोजेः-द्रव्यथो एक द्रव्य खेत्री लोक पलोक प्रमाणे कालधी :पादि अंत रहित भाव थौ परूपी गुरधौ भाजन गुण कालनें पांचा बोलां करी पोलखोजे: ट्रस्यों
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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