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________________ ( २५ ) । ॥ दुहा ॥ ___ नमु देव अरिहंत नित्य जिनाधिपति जिगागय ॥ द्वादश गुणा सहितजे बंदु मन बच काय ॥ १ ॥ नमु सिद्ध गुण अष्टयुत आचार्य मुनिराज ॥ गुण षट तीस संयुक्त प्रणमुभव दधि पाज ॥ २ ॥ प्रणमुफुन उवझाय प्रति गुण पण बीस उदार ॥ नमु सर्व साधु निर्मल सप्त बीस गुण धार ॥ ३ ॥ हादस अठ षट तौस फुन वली पगा वीस प्रगट ॥ सप्त बीस ए सर्वही गुण वर इकसय अठ ॥ ४ ॥ नोकरवालो ना जिके मिणियां जगत मझार ॥ एक २ जे गुगा तणों एक २ मिणियोंसार ॥ ५ ॥ 12 ॥ जमोअरिहंताण ॥ नमस्कार थावो अरिहंत भगवनने। ते अरिहंत भगवंत कहवा छै १२ बारे गुणे करी सहित ? ते कहै छै अनन्तो ज्ञान १ अनन्तो दर्शण २ , अनन्तो बल ३ अनन्तो मुख ४ देव ध्वनि ५ भा मण्डल ६ फटिक सिंघासण ७ अशोकवृक्ष.८ पुष्प विष्टौ ६ देव दुदवी १० चमरबौंजै ११ छत्र धारे १२
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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