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________________ ( १८६ ) सोनो रूपो नाम मिनखरो रे लाल, पि कहिवा नो छै नाम रे सु० जो काम पड़ े गहणां तणो र लाल, ते नावे गहणा रे काम रे सु० ना० ॥ १५ ॥ किणही मिनख रो नाम होरो मनो वे लाल, ते नावे जड़ाव रो रे गहणा रे काम रे सु० जे काम पड़ लाल, ते नावे जड़ाव ने काम ने सु० ना० ॥ १६ ॥ किण हो मिनख रो मागक मोतो नाम है रे लाल, ते पण कहविवा नो है नाम रे सु० जो पहरे सिणगार करवा भगो र लाल, ते नावे महिरण रे काम ने सु० ना० ॥ १७ ॥ केशर कस्तूरी नाम है मिनखरो र े लाल, ते पिण कहिवा नो नाम रे सु० जो काम पड़ े बिलेपण गंध रोरेलाल, नावे विलेपन गंध रे काम रे मु० ना० ॥ १८ ॥ किणही मिनखरो नाम लाडू दियो र े लाल, ते पिण कहिवा नो नाम रे लागे तिय अवसरे रे लाल, सु० ਰੇ भूख तो नावे खावा रे काम र सु० ना० ॥ १६ ॥ किणहोक लकड़ी रो नाम घोड़ो दियो रे लाल, ते पिण कहिवा नो है नाम रे सु० जो काम पड़े चालण तणो र े लाल, ते नावे चढ़ रे काम रे सु० ना० ॥ २० ॥ इत्यादिक जीव अजीव रा र लाल, दौधा नाम अनेक र सु० पिण गरज सरो नहीं नामसूं रो छै
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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