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________________ ( १३८ .) पार्य अने धर्स एस के दोय दोय है किणन्याय ___ कर्स तो अजीव छै; धर्स जीव छै। ५ पाप शने धर्म एक के दोय दोय छै; किसाबाय माम तो अजीव ॐ धस जीव छ। ६ सधर्म अनें अधर्मास्ति एक के दोय दोय; किण न्याय अधर्म तो नौव छै; अधर्मास्ति भाजीव छ। ७ धर्म भने धर्मास्ति एक के दाय दोय; किणन्याय धर्म तो जीव छै; धर्मास्ति अजीव छै । ८ धर्म अने अधारित एक के दोय दोय, किणन्याय ___ धर्म तो जीव छै; अधर्मास्ति अजीव छै। है, अधर्म अने धर्मास्ति एक के दोय दोयः विणन्याय __ अधर्म ता नौव; धर्मास्ति अजीव छ। १० धर्मास्ति धनें अधर्मास्ति एक के दोय दोय; विष्णन्याय धर्मास्ति को तो चालवा नो सहाय के भने अधर्मास्तिनो थिर रहवानों सहाय छै। ११ धर्म पने धर्मों एक के दोय एक छै; किणन्याय धर्म जीवका चोखा परिणाम छ। १२ अधर्म अने अधर्मी एक के दोय एक छै; किन न्याय अधर्म जीव का खोटा परिणाम है।
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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