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________________ जैन गौरव स्मृतियाँ * ७६५ | 沙长 长沙长的女性的的的的的的的的的的的的的 mry ___ *श्री सेठ स्खूमाजी हिम्मतमलजी बोरा-बंगलोर सीटी * श्री सेठ खूमाजी के हिम्मतमलजी, जसराजजी, देवीचन्दजी तथा पुखराजजी नामक चार पुत्र हुए । इनमें श्री जसराजजी के जेष्ठमलजी व भंवरलालजी नामक दो पुत्र हैं। श्री देवीचंदजी के पुत्र कुन्दनमलजी, जयन्तीलालजी तथा मूलचंदजी हैं । आप होनहार युवक हैं। - स्व० सेठ हिम्तमलजी धार्मिक कार्यों में उत्साह पूर्वक अग्रसर होकर भाग लते थे एवं गृहस्थाश्रम में रहते हुए भी तपश्चर्या युक्त जीवन बिताते थे -बोरिंग पैठ में-खुमाजी हिम्मतमलजी के नाम से वं बेंगलोर में देवीचन्द जेठमल के नाम आपकी फर्मे हैं। प्रथम फर्म पर वस्त्र व्यवसाय एवं द्वितीय फर्म पर सोना चांदी एवं जवाहरात का व्यवसाय होता है। * सेठ रतनचन्दजी लोढा-बगलोर केन्ट जन्म सं० १६५६ भाद्र पद सुदि ४ । व्यवसायिक कार्यों में आपने सूझ बूझ से अच्छी सफलता प्राप्त की । आप बड़े ही उदार दानी मानी एवं धार्मिक प्रवृत्ति के सज्जन हैं । स्थानीय जैन समाज के आप गौरवशाली महानुभाव हैं। तथा समय २ पर सामाजिक कार्यों में आर्थिक सहायता देते रहते हैं। .. श्री सेठ रतनचन्दजी के मानमलजी एवं सज्जनराजजी नामक दो पुत्र है जो बड़े ही होनहार बालक हैं। स्पीईन्सरोड पो० पर "श्री शेषमलजी गणेणमलजी" नामक. आपकी फर्म पर मनीलेण्डर का कार्य होता है। * श्री सेठ वातावरमलजी छल्लाणी-रावर्टसनपेठ । मद्रास] . - जेतारण ( मारवाड़ ) निवासी सेठ घेवरचन्दजी - के पुत्र बगतावरमलजी सन् १९४१ व्यापारार्थ यहाँ आए और-"वगतावरमल घेवरचन्द" के नाम से फर्म स्थापित कर सोना चांदी एवं किराये का व्यवसाय चालू किया। योग्यता एवं सच्चाई से व्यवसाय करने से अल्प समय में ही आपने अच्छी उन्नति करली। रावर्ट सन पेठ में दुकान स्थापित करने वालों में आप ही प्रथम मारवाड़ी हैं। आप बड़े ही प्रतिष्ठित, एवं धर्म प्रिय महानुभाव हैं। . . श्री सेठ साहब के चम्पालालजी, पन्नालाल जी, अन्नराजजी एवं धनराजजी नामक ४ पुत्र हैं । आप स्थानकवासी आम्नाय मानने वाले है। . *श्री सेठ शान्तिलालजी बाफना-रावर्टसन पेठ / मद्रासो श्री सेठ ऋएभचन्दजी धर्मपरायण उदार हृदय दानी सब्जन हो चुके हैं। स्थानीय जैन मन्दिर का निर्माण आपकी धर्म निष्ठता का परिचय देता है । आपके .
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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