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________________ ७८४ ... जैन-गौरव स्मृतियां -. -- . . __ *श्री सेठ जेठमलजी लालचन्दजी झावक का परिवार-कुनूर (नीलगिरो.).. सेठ करणमलजी के सुपुत्र श्री जेठमलजी एवं लालचन्दजी सद् परिश्रमी.. व्यापार कुशल एवं जातीय सेवक सज्जन थे। श्री जेठमलजी ने सन् १९०४ में कुनूर .. में लालचन्द शंकरलाल एन्ड कम्पनी के नाम से फर्म स्थापित की। ....... ... श्री लाल चन्द साहिब के श्री अनोप चन्दजी एवं गुलाबचन्दजी नामक दो.... पुत्र हुए। श्री जेठमलजी सन् १६३६ में स्वर्गवासी हुए । आप निस्सन्तान थे। अतः . नअपने लघुभ्राता के पुत्र श्री अनोपचन्दजी झावक कोगोद लिया। . . :":.:. "..... 1- .. D ... ........ reatment - - .:.:. : . ' .." Anciend.rn. FALLit: श्री अनोपच'दजी झावक कुनूर ... श्री गुलाबचन्दजी झाबक ... ... . — श्री अनोपचन्दजी की प्रेरणा. विशेष से कुनूर में एक जिन मंदिर' की । स्थापना हुई जो नीलगिरी में सर्वप्रथम जिनालय है । जो जैन संस्कृति के रक्षणार्थ . सहायक होगा । इसके अतिरिक्त उटकमंड व कुनूर के श्री शान्ति विजय हिन्दू गल्से . हाई स्कूल के प्रणाताओं में से एक हैं। आपने सन् १९४३ में श्री लालचन्दजी अनोपचन्द एण्ड कम्पनी के नाम से फर्म स्थापित की । फर्म का मुख्य व्यवसाय बेकिग, चांदी सोना व चांदी का काम होता है। श्री जया स्टोर्स (जनरल मर्चेन्ट) चोरडिया एयुक्लास आइल कम्पनी एवं ज्ञानचन्द एण्ड कं (कपड़ा ) इसके अलावा वस्त्र व्यवसाय की दो विशाल दुकाने हैं जो कि, जेठमल एण्ड कम्पनी एवं जुगराज एन्ड कं० के नाम से प्रख्यात हैं।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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