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________________ जैन- गौरव -स्मृतियां ट्रस्टी रहकर आपने मंदिर निर्माण में बड़ा योग दिया था । सेठ गुलाबचन्दजी एक धर्म प्रेमी सज्जन हैं। परोपकारी कार्यों में उदारता पूर्वक सहायता करते रहते हैं । आपके मांगीलालजी नामक पुत्र हैं । ७४४ ★सेठ नवलचन्दजी गूलाजी एण्ड कम्पनी बम्बई खुडाला. (मारवाड़) निवासी सेठ हजारीमलजी के ३ पुत्र हुए- श्री पृथ्वीराज जी ( जन्म सं० १६५६ वैशाख सुदी १४), भभूतमतजी तथा श्री ओटरमलजी । श्री पृथ्वीराजजी के ५ पुत्र हैं - शान्तिनाजजी, चपलालजी, देवराजजी, दानमलजी तथा जसवंतरायजीः । यह परिवार श्वेताम्बर जैन अन्यायी है । मजगाव (बम्बई ) में हजारी सिल्क मिल्स है। लोअर कोलाबा में किटिज रोड़ पर 'नवलचंद गुलाजी के नाम से: भी एक शाखा है । बम्बई की प्रतिष्ठित व श्रीमन्त में आपका नाम है । सेठ पृथ्वीराजजी एक धर्म निष्ठ और समाज हितैषी सज्जन हैं । मारवाड़ की शिक्षण सस्थत्रों में आपकी समय समय पर बड़ी सहायता रहती है। पार्श्वनाथ जैन हाई स्कूल फालना को आपने २० हजार की एक मुश्त स्वयं सहायता प्रदान की और डेपूटेशन में भ्रमण कर सहायता संग्रह करवाई । हाई स्कूल में आप पेटून हैं' । अन्य सार्वजनिक जनहित के कार्यो में आप सदा परम सहायक रहते हैं । ★ मेसर्स श्रसृतलाल एण्ड को० ज़रीवाला, सूरत सूरत की उपरोक्त फर्म जरी वगैरह का कार्य लगभग सात वर्ष से सुचारु रुपेण कर रही है । तथा विगत १० वर्षों से “शिवलाल हर किशनदास" के नाम से कपड़ा बनाने का कार्य भी उत्तम रीति से कर रही है । फर्म की प्रामाणिकता और श्रेष्ठता का श्रेय फर्म के भागीदार श्री अमृतलालजी, बाबूभाई, कंचनलालजी एवं केशवलालजी की कार्य पटुता को है । आप लोगों के सहयोग एवं मिलनसारिता से फर्म की उन्नति और प्रतिष्ठा बढ़ी है। समय समय पर शिक्षा संस्थाओं और सार्वजनिक हित कार्यों में फर्म की ओर से गुप्त सहायता मिलती रहती है । श्री अमृतलालजी के मूलचन्ददास श्री बाबूभाई के रमेश्चन्द्र और ईश्वरलाल, श्री लालजी के कान्तिलाल, अरविन्दलाल और प्रवीणचन्द्र तथा श्री केशव लालजी के नवीनचन्द नामक पुत्र है । आप सब वैष्णव मतावलम्बी हैं। अमृतलाल एन्ड को० जरीवाला के नाम से यहां हम हर प्रकार का जरी माल गोटा, किनारी, बांकड़ा, फूल चंपा तथा रेशमी सूती कपड़े के थोक बनाने वाले तथा विक्रेता हैं |
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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