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________________ जैन गौरष-स्मृतियाँ ★मेसर्स हेमचन्द मोहनलाल जौहरी, बम्बई यह फर्म ५० वर्ष से बम्बई में हीरे का व्यवसाय कर रही है । वर्तमान में इस फर्म के मालिक सेठ हेमचन्द भाई, सेठ भोगीलाल भाई, सेठ मणिलाल भाई : एवं चन्दुलाल भाई हैं । आप लोग पाटन (गुजरात) निवासी हैं। आप सब सज्जन मिलनसार, सहदय एवं व्यापार कुशल हैं। फर्म का व्यापारिक परिचय निम्न प्रकार से है१. बन्धई-मेसर्स हेमचन्द मोहनलाल जौहरी, धनजी स्ट्रीट । फर्म पर हीरे और ... . पन्ने का थोक व्यापार होता है। २. पण्टवर्ष-( बेलजियम ) "मेसर्स हेमचन्द मोहनलाल" इस फर्म के द्वारा भारत . के लिए हीरा खरीदकर भेजा जाता है। श्री सोमचन्दजी वन्नाजी बम्बई, . .. .. मारवाड़ जैन विकास के सम्पादक श्री सोम चादजी एक सफल साहित्यिक सज्जन है। जैन धर्म और समाज के विषय पर आ पके सम्पादकीय लेख अपना एक नूनन क्रान्तिमय सन्देश देते हैं । साहित्यक गोष्ठियों में श्राप उत्साह से भाग लेकर अपनी साहित्य रसिकता आदर्श उपस्थित करते हैं। अच्छे साहित्यक होने के साथ आप सफल व्यवसायी भी है । एस.वी. जीवाणी नामक आंपकी फर्म म्युनी • सीपल कोंन्ट्राक्टर एवं टिम्बर मर्चेन्ट है। .. . आपके रमेशचन्दजी नामक एक पुत्र हैं । फर्म का पता-मेसर्स. एस. वी. जीवाणी २५. २ री सुतार गली सच्चिदानन्द भुवन बम्बई नं०४ . . ★सेठ देवीचंदजी दलीचन्बजी एन्ड कम्पनी, बम्बई यह फर्म बम्बई के सर्वोपरी छाता और निर्माता व्यापारियों में प्रमुख है। • वर्तमान में बाली निवासी सेठ श्री सागरमलजी चोपड़ा के संचालन में यह फर्म विशेष उन्नति पर है। सेठे सागरमलजी एक सार्वजनिक जन हित कार्यों में पूर्ण दिलचस्पी रखने वाले सुघार व शिक्षा प्रेमी उदार चेता सज्जन हैं । मारवाड़ जैन युवक संघ के बाली अधिवेशन के स्वागताध्यक्ष थे। आपके छोटेभाई श्री चंपालालजी एक आद्वितीय प्रतीभा वाले होनहार युवक थे किन्तु केवल २२ वर्ष को.अल्पायु में ही आप स्वर्गवासी हो गये । दोनों भ्राताओं में बड़ा प्रेम था। मेसर्स देवीचन्द दुलीचंद एन्ड के के नाम से २२-८४ नई हनुमानगली बम्बई नं०.२ में आपका वृहद् काम काज होता है। सेठ सागरमलजी विलायत यात्रा कर आये हैं। . . . * श्री सेठ सागरमलजी नवलाजी, बम्बई . सं० १६३६ के फ्येष्ठवदि १३ को श्वेताम्बर पोरवाल श्री नवलाजी के घर.
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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