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________________ 00 जैन-गौरव-स्मृतियां . . ti TARA श्री बन्शी लालजी के माणक चन्दजी, अबीर चन्दजी, तथा ज्ञान चन्दजी नामक तीन सुपुत्र तथा सायरबाई नामक एक कन्या है । आप स्थानीय स्थानक वासी जैन संघ के प्रेसिडेन्ट हैं । तथा प्रत्येक धार्मिक कार्यों में उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं । अापकी माताजी अर्थात् श्री चुन्नीलालजी की धर्म पत्नि श्रीमती सोनाबाई का सं० १६४० में देहावसान हुआ। दहावसान के समय श्रीमती सोना बाई ने ७००० की लागत का एक मकान स्थानक को भेंट किया। आपकी फर्म यहाँ तथा भण्डारे में "भवानीदास चन्नीलाल" के नाम से मालगुजारी, काश्तकारी, लेनदेन का काम करती हैं । यहाँ पर आपकी ओर से एक धर्मशाला है जिसमें यात्रियों के लिए ठहरने का समुचित प्रबन्ध है। . * सेठ पुखराजजी ओस्तवाल, हिंगणघाट । .. सेठ राजमलजी ओस्तवाल के दत्तक पुत्र श्री सुगनचन्दजी की छोटी उम्र में ही मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद इनकी पत्नी सोनाबाई ने कार्य भार सम्भाला और श्री पुखराजजी को गोद लिया । पुखराजजी का विवाह २६.४-१६१२ को हुआ । पुखराजजी के पत्नि का स्वर्गवास २७-६-१६३४ को हुआ । दूसरा विवाह ता० ७.६ १६३५ को हुआ । पुखराजजी. उत्साही धार्मिक भावना के सज्जन हैं। आपके पांच सुपुत्र हैं। श्री तिलोकचंद .. कस्तूरचन्द, तेजराज, कुन्दनमल तथा पारसमल | और तीन कन्या है सुन्दरई विमलबाई और मानकंवर और पौत्री क है। जिसका नाम दमयंतीदबाई है.।. __ श्री० जैन गुरुकुल व्यावर को ५०१ पया देकर कमरा बनवाया । श्री जैन विद्यालय चिंचवड को एक हजार रुपया कर कमरा बनावाया। श्री छोटमलजी सुराणा-हिंगनघाट आपने हाई स्कूल की शिक्षा समाप्त करके २० वर्ष की आयु में ही राजकीय सामाजिक क्षेत्र में बड़ी ही योग्यता से पदार्पण किया। ओप सी. पी. और घर में सबसे कम उम्र के लोकल बोर्ड हिंगन घाट के अध्यक्ष रहे हैं। क्लोथ मर्चेण्ट होशियशन के भी आप कई वर्षों तक अध्यक्ष रहे हैं। ............. . IA . ... .. . 22.
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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