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________________ जैन-गौरव-स्मृतियां . * * ६६५ *श्री सेठ हरकचन्द्रजी आवड़-चान्दवड़ (खानदेश). ... . श्री हरकचन्दजी के पुत्र रामचन्द्रजी व केशवलालजी हैं। श्री केशवलालजी आबड़ का जन्म सं० १९६१ में हुया। चांदवड़ गुरुकुल स्थापन करने में आपने अनेक विपत्तियां में ती। आपही के प्रवन्धकत्व में विद्यालय उत्तरोत्तर उन्नति करने में सफल हो रहा है। खान देश तथा महाराष्ट्र के सुपरिचित व्यक्तियों में आपकी गणना है। आप के पुत्र संचालाजजी व रतनलालजी एफ. ए. हैं तथा अमरचन्द्रजी व रमेशचन्दजी आश्रम में पढ़ते है। हंसकुमारी तथा सरोजकुमारी नामक दो कन्याये हैं। सेठ रामचन्द्रजी-आपका जन्म सं० १६४६ का है। विद्यालय के स्थानीय प्रवन्ध समिति के सदस्य रह कर आपने प्रशंसनीय कार्य शीलता का परिचय दिया। आपके ज्योठ पुत्र श्री शानत्तिलालजी वस्त्र व्यवसाय का संचालन कर रहे हैं तथा ४ वर्प से नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं । आप देशभक्त एवं समाज सेवी युवक हैं। आपसे छोटे भाई लखमीचन्दजी नाशिक में वकालात करते हैं। गत वर्ष तक आप नाशिक जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे एव वर्तमान में जिले के सेवा दल के प्रमुख हैं। तथा बीड़ी कामगार यूनियन व गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष हैं। इन से छोटे भाई इस वर्ष मैट्रिक पास हुए हैं। श्री रामचन्दजी के सुरज कुमारी चांदकुमारी व कमला कुमारी नामक तीन कन्यायें है। . . .... ... श्री केशवलालजी तथा रामचन्द्रजी "हरकचन्द रामचन्द्र" फर्म का कार्य संभालते हैं । आपका परिवार मन्दिर मार्गीय आम्नाय का अनुयायी है . *श्री सेठ कंवरलालजी रतनलालजी वाफणा-धूलिया (खानदेश) . . श्री कंवरलालजी वाफणा सामाजिक, धार्मिक तथा: राष्ट्रीय कार्यों में वहत उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। पूज्य श्री जैनाचार्य श्री जवाहरलालजी महाराज के सहित्य वाचन एवं धर्मोपदेश से राष्ट्र एवं धर्म सेवा की ओर अभिरुचि हई। लगभग सन १९२६ से आप शुद्ध खादी. पहिनते है और रचनात्मक कार्यों में पा सहयोग देते हैं। इसी प्रकार आपने अपना धार्मिक जीवन भी आदर्श मय वा लिया है। राष्ट्रीय प्रवृत्तियों में भाग लेने के कारण श्राप जेल भी जा चुके है। धलिया जिले के प्रमुख काँग्रेस कार्यकर्ताओं में आपका महत्व पूर्ण स्थान है। सिरधाना में आपकी जमीन है एवं यहाँ आप स्वयं कृषि कर वाते हैं। यहीं पर एक दुकान भी है जहाँ सब प्रकार का व्योपार एवं लेन देन होता है। आपके विचार बहुत उदार एवं क्रान्तिकारी हैं।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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