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________________ जैन - गौरव स्मृतियाँ पूना में इंजीनियरिंग में अध्ययन करते हैं एवं छोटे श्री सोहनलालजी भी पढ़ रहे हैं । इन चारों भाइयों ने विद्याभवन ( उदयपुर ) से मैट्रिक पास किया था आप चारों मिलनसार आदर्श विचारों के नवयुवक हैं । राष्ट्र एवं समाज को आपसे बहुत आशायें है 冬冬冬冬冬冬冬冬冬 बरेली के आस पास आपकी बड़ी भारी जमीदारी है। वर्ष में कमसे कम ४ मास तो केवल धर्माराधान में ही व्यतीत होते हैं । ★ श्री सेठ अमीचंदजी कांसटिया - भोपाल श्री सेठ अमीचन्द के पिताजी सेठ गोडीदासजी एक धर्मनिष्ठ एवं परोपकारी सज्जन थे | आपकी दिनचर्या का विशेष भाग धार्मिक विषय की चर्चा, प्रति स्व० सेट गोड़ीदासजी कॉस्टिया, भोपाल सेंट ग्रमीचंदजी कास्टिया भोपाल क्रमण व सामायिक करने में व्यतीत होता था । आपकी धार्मिकता, न्यायशीतला और प्रामाणिकता के कारण ओसवाल समाज व अन्य समाजों में अच्छा मान था, सेठ अमीचन्द का जन्म सं० १६३७ में हुआ। पिताजी की तरह आप की भी धार्मिक कार्यों में अच्छी रुचि है । स्थानीय श्वेताम्बर जैन पाठशाला में आपकी ओर से एक धर्माध्यापक रहते हैं । आप ओसवाल समाज के सम्माननीय ग्रहस्थ एवं भोपाल के प्रतिष्ठित व्यापारी हैं । 1
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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