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________________ 'जैन- गौरव -स्मृतियां अनशन परपस * १९१ ६८३ मल श्री सेठ सिद्धराजजी का जन्म सं० १६६३ चैत्र सुदि १५ । आज आप गिर्द, शिवपुरी, मुरैना इन तीन जिलों के लश्कर एवं शिवपुरी म्युनिपैल्टी के एवं कोपरेटिव बैंक लश्कर एवं भारत बैंक भेलसा के खजांची हैं । अ० भा० ओसवाल महा सम्मेलन की प्रवन्ध कारिणी समिति के सदस्य तथा स्थानीय कई एक सभा संस्थाओं के पदाधिकारी हैं। स्थानीय प्रायः सभी शिक्षा संस्थाओं के ट्रेझरार हैं। आप एक उदार चेवा, शिक्षा प्रेमी और सरलं चित्त महानुभाव हैं। इस समय आपके पास तीन गाँव जमींदारी के रूप में हैं । बुधराजजी, जुगराजजी, जीवराजजी, विजयराजजी, एवं अखेराजजी नामक पांच पुत्र हैं । श्री बुधराजजी और जुगराजजी व्यापारिक कार्यों में आपको सहयोग देते हैं। श्री बुधराजजी के कुशलराजजी और धनराजजी नामक दो पुत्र हैं। जो अभी पढ़ रहे है । शीवपुरी में व लश्कर में वैकिंग तथा गल्ले की आदत का कार्य होता है । इढ़सई ( मालवा ) में एक जीनिंग फैक्टरी है। ★ श्री सेठ फुलचन्दजी चौरड़िया, मुरार श्री सेठ जोधकरणजी के हरसोलाव ( जोधपुर स्टेट ) से फूलचन्दजी दत्तक आये । प्रगतिशील धार्मिक विचारों के सज्जन हैं । इस समय आप स्थानीय मिल में उच्च पद पर योग्यता पूर्वक कार्य कर रहे हैं । स्थानीय स्थानक वासी समाज में आप अपना विशिष्ट महत्व रखते हैं । व्यापके सरदार बाई और राजाबाई नामक दो कन्यायें है । • श्री पृतचन्द्रजी के श्री रतनचन्दजी और मेवराजजी नामक दो भाई और हैं जो दक्षिण में व्यवसाय करते हैं । -मेसर्स प्रेमराजजी लक्ष्मीचंदजी, मुरार फर्म के वर्तमान मालिक सेठ प्रेमराजजी के पुत्र सेठ लक्ष्मीचन्दजी हैं । अपि कुशल कार्यकर्त्ता तथा मिलनसार सन हैं । सामाजिक कार्यों में प्रेमपूर्वक योग देते रहते हैं। "प्रेमराज लक्ष्मीचन्द्र" फर्म पर ठेकेदारी तथा लेन देन का काम होता है। आपका मुख्य काम ठेकेदारी है।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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