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________________ जैन- गौरव स्मृतियां ★ श्री सौभाग्यमलजी जैन एडवोकेट, शुजालपुर रूढियों और आडम्बरों के कट्टर शत्रु, ग्वालियर राज्य के प्रमुख कार्यकर्त्ता और पोरवाल कान्फ्रेन्स के भूतपूर्व मन्त्री श्री सौभाग्यमलजी शुजालपुर के प्रमुख वकीलों में से हैं । आपको स्वाध्याय से अतिशय प्रेम है । संस्कृत, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी तथा गुजराती भाषाओं पर आपका अधिकार है । आपका एक पुस्तकालय भी है जिसमें धार्मिक ग्रन्थों एवं शास्त्रों का अच्छा संग्रह है । राष्ट्रीय विचारों के कारण आप स्टेट अमेम्वली अपर हाउस के सदस्य हैं । इस प्रकार से आप सिद्धान्त वादी एवं कर्मठ कार्य कर्त्ता है । ★ सेठ मायाचन्दजी, सनावद ६८१ आप एक योग्य, सरलं प्रवृत्ति और धार्मिक प्रवृत्ति के उदार महानुभाव हैं । अपनी पूजनीया मानाजी के स्मृति में श्री मातेश्वरी दिगम्बर आयुर्वेदिक औषधालय १६३० से स्थापित किया और इसके स्थायी निधि के लिए ४००००) दान में दिये । स्थानीय "दिगम्बर जैन हाई स्कूल" की आर्थिक दशा ठीक न होने से स्थिति डावां डोल थी श्रतः आपने ढाई लाख का दान दे स्कूल की नींव चिरस्थायी करदी जिसमें आज ४०० छात्र शिक्षा ग्रहन कर रहे हैं । अनिवार्य है । “माणक चन्द दशरथशाह” के नाम से स्थानीय फर्मों में आपकी फर्म बड़ी श्रीमन्त फर्म मानी जाती है । ★ श्री सेठ फूलचन्दजी वेद मूथा-लश्करः श्री सेठ छगनमलजी के सुपुत्र श्री फूलंचन्द्रजी ६५ वर्षीय वयोवद्ध महानुभाव है । व्यापारिक प्रतिभा से अच्छी उन्नति की । आपके पुत्र दिपचन्दजी ३५ वर्षीय युवक है । सामाजिक तथा धार्मिक कार्यों में आप सोत्साह से भाग लेते रहते हैं द्वीपचन्दजी के माणकचन्दजी, प्रेमचन्दजी पदमचन्द्रजी और हेमचन्दजी नामक चार पुत्र और विद्या बाई नामक एक कन्या है । स्थानीय जैन समाज में आप का
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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