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________________ जैन- गौरव स्मृतिया ६५७ " श्री रतनचन्द हीराचन्द्र सेमलानी" के नाम से सोने चांदी के जेवरात का व्यवसाय प्रारम्भ किया। बांदरा में अपने टङ्ग की यही एक प्रसिद्ध दुकान है। आप एक कुशल व्यवसायी होने के साथ २ मिलनसार स्वभाव के कर्मठ कार्यकर्त्ता भी हैं। बांदर' कॉग्रेस कमेटी के सेक्टरी रहकर आपने अच्छी सेवाये की हैं | देश मंत्रा के निमित्त आप कई बार जेल यान्ना भी कर चुके हैं। आपके प्रयत्न से सादड़ी में व े स्था० जैन ज्ञान वर्धक सभा स्थापति है । आपके श्री केवल चन्दजी नामक एक पुत्र हैं । ★ श्री सेठ विनयचन्दजी मेहता, तख्तगढ़ (मारवाड़ ) ३० वर्षीय उत्साही नवयुवक, सार्व जनिक कार्यों के सहयोगी और मारवाड़ लोक परिषद् की तख्तगढ शाखा के भूत पूर्व मंत्री अपनी | कार्य प्रियता एवं ध्येय निष्ठा के कारण स्थानीय जैन एवं जैनतर समाज में आदर के पात्र हैं । आपने सन् १९४३ में बम्बई में "विनय चन्द पारसमल एण्ड कम्पनी" के नाम से साहुकारी लेन देन का व्यवसाय प्रारम्भ किया जो आज अच्छे रूप में चल रहा है । ★ वर्धमान जैन युवक मंडल, खिवान्दी "यह संस्था सं० २००२ भादवा वद एकस के दिन मुनि महाराज श्री १००८ श्री मंगल विजयजी के सद् उपदेश से स्थापित की गई। इसका मुख्य उद्देश्य जैन समाज में कुरितियां मिटा कर संगठन तथा प्रेम को बढाना है । अजैन जनता को भी यथा शक्ति मदद करना तथा गांव की सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्थाओं में भाग लेना इसका ध्येय है ।" संस्था के अन्तर्गत शिक्षा प्रचारार्थ पुस्तकालय व वाचनालय आदि की व्यवस्था है । सामाजिक व धार्मिक कार्य में बडा सहयोग रहता है ! संस्था के सभी सदस्य कर्मठ एवं सेवाभावी हैं। मंत्री श्री टी० जी० गाँधी है।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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