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________________ गौरव-स्मृतियाँ सार्वजनिक कार्यकर्ताओं में प्रमुख स्थान है और अच्छी प्रतिष्ठा है । सुपुत्र श्री. वलचन्दजी एम० ए० में अध्ययन कर रहे है । पूनमन्चद के नाम से हैदराबाद में सोना चांदी एवं जवाहरात का व्यापार था परन्तु अब नागौर में ही प्रौद्योगिक कार्य की योजना में संलग्न हैं। ४ सेठ मूलचन्दजी आशारामजी हुडिया, सिवाना (मारवाड़) . sidebar .. SATTA ... . .IN 3 . .. . . ... - . -- -- - . ... .. A - सेठ मूलचन्दजी अाशारामजी हुडिया सिवाना का परिवार आप सिवानची परगने के एक परम उदार व प्रसिद्ध श्रीमंत हैं। सेठ दलीचंदजी के तीन पुत्र हुए जिनमें प्रथम दो श्री रुघनाथमलजी और सेठ मूलचन्दजी खर्गस्थ है। वर्तमान में सेठ श्राशारामजी ही इस परिवार के मुखिया है । उम्र ५५ वर्प । सेठ रघुनाथमलजी के छोगालालजी नामक ४० वर्षीय पुत्र है : जिनके सम्पत राजजी २२ वर्षीय पुत्र है और बी. ए. व प्रभाकर की डिग्री प्राप्त है ! सेठ मूलचंदजी के मानिकचन्दजी पुत्र है और खुशालचन्दजी भंवरलालजी व सुमेरराजजी प्रोत्र . हैं । सेठ आशारामजी के श्री मिश्रीमलजी गोद आये है। श्री मिश्रीमलजी के २ पुन है बाबूलाल व महावीर प्रसाद । गन्दर चलारी, अहमदाबाद में सब भाइयों का अलग २ व्यवसाय है । सेठ श्राशारामजी 'मूलचन्द आशाराम' के नामसे मत्यती मार्केट अहमदाबाद न पार्षद के एक बड़े व्यापारी व श्रीमंत माने जाते हैं। श्री मिश्रीमलजी एक मुविचार शील उत्साही नवयुवक है । शिक्षा व साहित्यिक कार्यों में विशेष नचि रखते है। . बड़े उदार, दिल व मिलनसार भी है।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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