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________________ गौरव-स्मृतिया न् १९७६ साथ सुदि १५ को हुआ । स तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद पने व्यापारिक क्षेत्र में कार्य प्रारंभ या एवं बड़ी ही योग्यता से का संचालन कर रहे हैं । खाप. श्री वीर नवयुवक सडल डेह नागौर) के प्रधान मंत्री तरूण, जैन के सञ्चालक एवं अखिल विश्व मिशन अलीगन्ज ( एटा ) के रक तथा संयोजक हैं । तथा समय पर पत्र पत्रिकाओं में लेखादि देकर हित्याराधन भी आप करते रहते | आपके चैन सुख एवं राजकुमार मक दो छोटे भाई हैं जो अभी कुल में पढ रहे हैं । श्री डूंगरमलजी के विनोदकुमार श्री डूंगरमलजी सलावत 'इ' गरेश' मक पुत्र एवं सावित्री एवं कमला नामक दो कन्याये हैं । "सवलावत ट्रेडिंग कम्पनी" नं० १५ नारमल लोहिया लेन कलकत्ता पर की आदत दलाली तथा व्याज का काम होता है । देह में हांगरमल हालस न्द्र एवं केशरीमलजी जीतमल नामक फर्मों पर साहूकारी का काम होता है । श्री रामदेवजी पाटनी, डेह ( मारवाड़ ) ६३६. जन्म सं० १६७७ । पिता का नाम भूमरमलजी पाटनी । आप कार्य व नवव उत्साही एवं प्रगतिशील विचारों के मिलनसार सज्जन हैं । “वित्त विव न मिशन श्रीगज्ज (एटा) के सक्रिय सदस्य हैं । व्यापके दो पुत्रिये एवं एक पुत्र रूपचन्दजी नामक हैं । आपके लघु भ्राता सोहनलालजी एवं पानी है। प भी शिक्षित एवं शिघ्र युवक है } आसाम में “चम्पालाल झूमरमल" पोः तीन चिया फर्म पर गल्ला कराना एवं जूड का व्यापार होता है । "रामदेव रामगोपाल पावती" पीगंज एडी कोटा में तथा एक शाखा डेह ( मारवाह ) में है । ★ श्री इन्द्रचन्दजी पाटनी डेह ( मारवाड़ ) आपका जन्म १६८२ हुआ। गलनसार एवं मुखयुवक हूँ 'श्री कमल संस्था के "स्वयंसेवक" विभाग के कई वर्षो तक दियर जैन है। ज्याद के साथ है। हे तं न
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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