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________________ जैन-गौरव-स्मृतियां मैं परिवार धन धान्य एवं पुत्र पौत्रों से सुखी है । सेठ थानमलजी का सामाजिक जीवन भी अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय है । महाराजा गंगासिंहजी के समय में बीकानेर राज्य से आपको पैरों में सोना छड़ी चपड़ास एवं कस्टम की माफी दी गई | महाराजा शार्दूलसिंहजी के समय में कुर्सी ताजीम की इज्जत बख्शीस की गई। बीदासर में आपकी ओर से चिकित्सालय चल रहा है । "थानमल कानमल' १०५ चीना बाजार कलकत्ता में जूट का व्यापार होता है । इचँगरपुरा नौगांव एवं बेड़ा में भी शाखायें हैं । ★ सेठ मोहनलालजी काला - सुजानगढ़ सुजानगढ़ निवासी सेठ पन्नालालजी काला के सुपुत्र सेठ मोहनलालज चतुर व्यवसायी, धर्मनिष्ठ एवं परोपकारी मिलनसार साजन है आपकी वस्था 1. वर्ष है। आपने बीकानेर असेम्बली के एवं स्थानीय म्युनिसिपल के सदस्य रह कर कई जनहित के कार्य किए। आपके बड़े पुत्र सोहनलालजी ३० वर्षीय युवक हैं । बी. काम करके आप व्यापार में आपको सहयोग देते हैं। मोहनलालजी के कंवरीलालजी एवं मोतीलालजी नामक दो पुत्र है इनसे मोटे भाई मिसीलालजी मैट्रिक पास हैं । आपके भी माखनलालनामक दो पुत्र है। आप दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के अनुयायी हैं । कलकत्ते में आप लोगों की "प्रेमसुख पन्नालाल " नामक फर्म पर जूट कमीशन एजेण्ट एवं क्लोय मर्चेण्ट का काम होता है । "प्रेमसुख पन्नालाल " जैन टैक्सटाइल कं ६२५ कलकत्ता, महावीर ट्रेडिंग कम्पनी सुजानगढ़ के डायरेक्टर है । नारायणगंज पार्कि 'स्तान में चन्दनमल किशनलाल फर्म तथा कमला जूट बेलिंग कम्पनी आपकी है वारमुनिया, साहिय गंज नागौर आदि में भी आपकी फर्म है। इस प्रकार प्राप एक बड़े श्रीमंत व्यापारी है "
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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