SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 577
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन-गौरव-स्मृनिया ... श्री मेघराजजी :-श्रायु ३६ वर्ष । श्रापही वर्तमान में फर्म के सञ्चालक है। स्थानीय जैनसमाज के कार्य कर्ताओं में आपका अच्छा स्थान है । जैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वरजी के हीरक महोत्सव के अवसर पर "अभिनन्दन ममारोह" की कार्य समिति के श्राप सदस्य थे और सम्पादक मण्डल के प्रमुख थे। इस प्रकार श्राप एक समाज हितपी सुविचारवान और कर्मठ सजन है । श्री सम्पतलालजी और जतनलालजी होनहार, प्रगतिशील विचारों के युवक हैं। . मेसर्स "मेघराज सम्पतलाल कोचर" नामक फर्म १०८ प्रोल्ड चाइना चाजार पर अवस्थित है । छाते बनाने का कारखाना फर्म की विशेषता है। जूट श्रादि का भी व्यापार होता है। * मेहता राव प्रतापमलजी वैद का परिवार, बीकानेर बीकानेर संस्थापक बीकाजी के साथ इस परिवार के पूर्वज सेठ लालोजी अपने निवास स्थान ओसियां से यहां आए और स्थायी रूप से बस गये । श्राप ही के वंशज मेहता राव प्रतापमलजी वैद हुए हैं। आप बीकानेर के दीवान रहे और काफी प्रसिद्धि पाई। आपके राव नथमलजी नामक पुत्र हा, आप भी पीका -नेर के दीवान रहे हैं। आपकी सेवाओं से प्रसन्न हो श्रापके मस्तक पर मोतियों ___ का तिलक किया था, जिससे यह परिवार प्राजभी "मोतियोंका याखा वाले वैद" के नाम से पहिचानाजाता है। आपके प्रपोत्र जतनलालजी, भंवरलालजी, और श्री भंवरलालजी है। श्री जननलालजी तथा भवरलालजी बीकानेर में "जसराज मोतीलाल" के. नाम से कपड़ा व किराने काम करते हैं आपकी वर्तमान में क्रमशः ३६ तथा ३४ वर्ष की आयु है। जननलालजी के मुरजमल व चांदमल तथा भंवरलालजी के निजयसिंह नामक पुत्र है। मेहना भवरलालजी बैंद-ग्राप सन १९६१ में बीकानेर स्टेट में सिनियर एक्साइज इन्स्पेक्टर दुप। वनमान में पाइन्पेक्टर जनरल कस्टम तथा एमाईज और मान्ट बड़े समाज प्रेमी और महदय मिलननार साजन ।। स्थानीय जैन पाठशाला के मंत्री हैं। जैन कोलाज निर्माण में सराहनीय . प्रयल मोतीलालजी और भागाकचन्दजी नामक दो पुत्र है। मोतीलाल जी.ची. एम. मी. है। मागकचन्दजी थी में अध्ययन कर . .. _/*स्व. मेट बाहगालजी बोठिया का परिवार-भीनामा . . . . . वा पदापुरमाली पदिया . पिनामा की हजामलजीन लाख
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy