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________________ जैन - गौरव स्मृतियां राजस्थान का जैनसमाज ★ सेठ अंगरचन्दजी भैरोंदानजी सेठिया बीकानेर ५६५. दानवीर सेठ भैरोंदानजी सेठिया पत्नी उच्च धामर्किवृत्ति, उदारता, शिक्षा तथा साहित्यप्रेम के कारण जेनजगत् में प्रख्यात है । आपका जन्म १९२३ विजया दशमी के दिन हुआ | आपके पिताजी का नाम धर्मचन्दजी था । A सेठ भैरोंदानजी सं. १६४१ में अपने बड़े भाई अंगरचन्दजी के साथ बम्बई गये और फर्म पर मुनीम के पढ़ पर नियुक्त हुए। आपके बड़े भाई श्री अगरचन्दजी इसी फर्म के साझीदार थे । सं. १६४८ में आप कलकत्ते आए और यहाँ मनीहारी और रंग की दुकान खोली सफल व्यापारी के सब गुण आपमें थे । धीरे २ व्यवसाय चमका और भारत के बाहर की रंग एवं " सेट मैदानजी सेठया मनिहारी के कारखानों की सोल एजेन्सियाँ ले लीं । इसी समय आपके बड़े भाई अगरचंदजी भी सम्मिलित हो गए और ए. सी. बी. सेठिया एन्ड कम्पनी के नाम व्यवसाय चालू किया। हावड़ा में "दी सेठिया कलर एण्ड केमिकल वर्क्स लिमिटेड" के नाम से रंग कर कारखाना खोला । यह कारखाना भारत में रंग का सर्वप्रथम कारखाना है। धीरे २ समस्त भारत में अपनी शाखायें खोलीं । जापान के ओसाका नगर में भी अपना आफिस खोला । सन् १९१४ के महायुद्ध में आपको आशातीत सफलता मिली । } सं० १६७८ में श्री अगरचंदजी वीकानेर में बीमार हो गए अतः आप कलकत्ते से यहाँ आए और दोनों बन्धुओं ने मिल कर ५ लाख की चल व अचल सम्पति से "श्री अगरचंद मैदान सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था"
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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