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________________ प्रन्थ के माननीय सहायक फेयर फंड में ५१०००) आदि अनेक स्थान पर बड़ी बड़ी रकमें दान दी गई है । गंगाशहर में आपकी ओर से एक जच्चाखाना भी है । इस तरह यह परिवार सब दृष्टियों से भारत विख्यात परिवार है । ★ श्री सेठ चम्पालालजी बांठिया - भीनासर ( बीकानेर ) मायक्र 文 **** सादगी, सरलता और धार्मिकता की दृष्टि से आदर्शश्रावक श्री स्व० हमीरमलजी चाँठिया उदार एवं समाज सेवक सज्जन थे । पूज्य जवाहरनालजी मा० सा० के उपदेश से सं० १९८४ में आपने ५/०००) कादान निकाला । ११ हजार एकमुश्त साधुमार्गी जैनहितकारिणी सभा को भेंट दिये | आपको गुप्तदान का शौक सा था । श्रापके श्री कानीरामजी, श्री सोहनलालजी और श्री चम्पालालजी ले तीन पुत्र हुए । सेठ चम्पालालजी उदीयमान समाज सेवक हैं । आपने पिता श्री की स्मृति में हमीरमल वांठिया बालिका विद्यालय की स्थापना की। एक प्रसंग पर आपने ७५०००) का दान देकर अपनी उदारता का परिचय दिया । शिक्षाप्रेम भी आपका प्रशंसनीय है । आप द्वारा मंचालित जवाहर विद्यापीठ को आदेश विद्यापीठ बनाने के लिए आप प्रयत्न शील हैं । याज-कल आप भीनासर के सार्वजनिक जीवन के एक संचालक है । चीकानेर राज्य में आपकी काफी प्रतिष्ठा है। बीकानेर असेम्बली के माननीय सदस्य ( M. D. A. ) रहे हैं । कलकत्ता-वम्बई-दिल्ली-बीकानेर आदि. में आपकी फर्म है। इतने विस्तृत व्यापार को संभालते हुए भी आप सार्वजनिक कार्य में काफी सहयोग देते है' | साहित्य प्रेम भी आपका अच्छा है। पूज्य जवाहरलालजी मा. सा. के साहित्य प्रकाशन में आप काफी साह दिखला रहे है । भीनासर व वोकानेर की प्रत्येक राष्ट्रीय, सामाजिक व धार्मिक प्रवृत्तियों में आपको अवश्य सारा किया जाता है व प्रत्येक प्रवृत्ति आपसे पोपा पानी है । श्रीमंत है पर जरा भी अभिमान नहीं ली मरवति का संगम है आप में । छोटी अवस्था में ही आप काफी लोकप्रिय बन गये हैं । आप अच्छे 1
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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