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________________ अन्य के माननीय सहायके . . IR ..... - - .हा ..... . .. : S श्रीवहादुर . ..! बाबू राजेन्द्रसिंहजी-बाबू बहादुरसिंहनी सिंघी के तीन पुत्रों में घाबू राजेन्द्रसिंहजी सिंधी सर्व ज्येष्ट हैं । आपका जन्म सं० १६०४ में हुआ । सन् १६२७ में आपने बी. काम पास किया । आप अपने पितार्जा के समान ही उदारचित्त है। एवं साहित्यिक व सार्वजनिक हित की प्रवृत्तियों का मुक्त मन से पोपण करते हैं। आपने अपने पिताजी के पुण्य म्मरण में ५०००) भारतीय विद्याभवन को दिए और उसके द्वारा वर्गस्थ श्रीपूर्णचन्द्रजी नाहर की लायनरी बरीद कर उक्त भवन को एक अमूल्य साहित्यिक निधि के रूप में मेंट की। अन्यमाला के निमित्त श्रीवहादुर सिंहजी के स्वर्गवास के पश्चान । १५००००) इंढ लाख म. खचं - . .. . किये जा चुके हैं। मथुरापुर। (पश्चिम-बंगाल) में ३००००) की रकम से एक हाईस्कृल खोला । इस प्रकार से आपने कई सार्वजनिक उदार प्रवृत्तियों के काय किए । सन १६३६-३८ में अाप पोलण्ड के कैन्सलर चुने गये । १६४१-४२ में मारवाड़ी एसोसियेशन के प्रेसीडेन्ट रहे। १६४६ में श्राप विशद्धानन्द हारिपटल के वाईस प्रेसीडन्ट रहे । "इन्डियन रिसर्च इनस्टिट्यूट के आप आजीवन सदस्य हैं । व्यापारिक क्षेत्र में आपकी अप्रतिहत गति है । "झगड़ा म्बएड कोलियरीज" के चेयरमैन, व डायरस्टर है । मार्डन हाउस, एण्डलेंड डेवलमेन्ट व हिन्दुस्तान कोटन मिल्स के श्राप मैनेजिंग डायरेक्टर है। इसके अतिरिक्त प्राप कलकत्ता नेशनल बैंक, इण्डियन इकोनोमिक इन्शुरेन्स कम्पनी लिक, फायरफाड जनरल इन्शुरेन्श कं. लि. पार्यन इंजिनिरियंग के लि.. इण्डियन इन्वेस्टमेन्ट कं. लि. आदि के आप डायरेक्टर है। आपकी पत्नी श्रीमती सुशीलादेवी भी नार्वजनिक प्रवृत्तियों में भाग लेती है। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री राजकुमारजी सिंधी एक उत्साही कर्मठयुवक हैं । श्राप पश्चिमि । बंगाल काँग्रेस कमेटी के सदस्य हैं । द्वितीय पुत्र श्री देवकुमारी सिंधी बी. ए. पास करके कोलियरी का काम सीखते हैं। तृतीय व चतुर्थ पुत्र स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं। पंचम व पट अभी शिशु अवस्था में पांच व पीत्री फे लाभ का सौभाग्य भी आपको प्रार!
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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