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________________ Ph 2: ५५ ग्रन्थ माननीय सहायक से पैरों में सोना, जागीर व तालीम मिली हुई है। 1 श्री सेठ केशरी सिंह जी सा के तीन पुत्र व एक पुत्री हैं । ज्येष्ठ पुत्र 'राज्यरत्न कुंवर बुधसिंहजी एम. ए. हैं। आप कुशाग्र बुद्धि, सदाचारी एवं fair हैं | साहित्यिक कार्यों में आप की विशेष अभिरुचि है । सन् १६५० में कोटा में हुए श्री अ० भा० हिन्दी साहित्य सम्मेलन के श्राप स्वागताध्यक्ष थे। कोटा के सार्वजनिक क्षेत्रों के आप कर्मठ सहयोगी रहते हैं। श्री पवित्रकुमारसिंहजी व गजेन्द्र कुमार सिंह जी विद्याभ्यास करते हैं। श्री सेठ साहब ने सिद्धाचल शत्रुञ्जय आदि की तीर्थयात्रायें की और हजारों रुपयों का दानपुण्य किया । धार्मिक तथा सामाजिक कार्या में आप मुक्त हस्त से दान देते रहते 1 कुं० आप एक माने हुए, उच्चतम ● बुद्ध सिंह जी बाफना व्यवसायी हैं । भिन्न २ स्थानों पर आपकी २५-३० फर्मों सुविस्तृत रूपसे व्यवसाय करती है । आपकी श्रीगंगानगर - (बीकानेर) में शुगर मिल, देहली में पोटेरी वर्कस, तथाधोलपुर में आयल मिल है। रतलाम के इलेक्ट्रिक कारखाने व कोटा में "कोटा ट्रान्सपोर्ट' के आप मैनेजिङ्ग एजेन्ट हैं। इसके अतिरिक्त आप भारत सरकार के आबू व इन्दौर दफ्तरों के कोपाध्यक्ष भी हैं। ★ सेठ सौभाग्यमलजी सा० लोढा, अजमेर अजमेर का लोडा परिवार राजस्थान के ख्यातिप्राप्त एवं प्रतिष्ठित श्रीमन्त परिवारों में से है । इसी परिवार में सेठ उम्मेदमलजी बड़े ही नामाति. लोकप्रिय और धर्मनिष्ठ हुए। आप व्यापार में बड़े दक्ष थे। सन् १६०१ में आपको भारत सरकार ने "दीवान बहादुर" की पदवी से सुशोभित किया । आपने ही व्यावर में "डी एडवर्ड मिल" खोली जो भारत विख्यात है । आपने सेठ समीरमलजी के दूसरे पुत्र श्रभयमलजी को गोद लिया । श्री सेठ जी बड़े ही लोकप्रिय और कार्यदन थे । आपने अपने पूज्य पिताजी की स्मृति में इम्पीरियड पर एक विशाल एवं राम पत्र धर्मशाला बनवाई | शाप मिलनसार और उदारता थे परन्तु खे
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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