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________________ * जैन-गौरव-स्मृतियाँ * 案字本六本《七子之空素案案卷六字字字素字本 चम्पापुरी : भागलपुर से दो कोस दूर नदी के किनारे चंपानाला है। यहीं चम्पापुरी हैं। यहां वासुपूज्य भगवान् के ५ कल्याणक हुए हैं। यहां वर.. भगवान् ने ३ चातुर्मास किये । कामदेव भावक यहीं हुए है' । शय्यंभवसूरि ने : यही दशवकालिक की रचना की थी। इस नगरी का विस्तार मन्दारगिरी तक था । मन्दारहिल पर वासुपूज्य जी की निर्वाण पादुका है । मधुवन प्राकर गांव से ८ मील पर मधुवन ग्राम है। यहां १३ मन्दिर है। यहां से सम्मेतशिखर पहाड़ पर चढ़ा जाता है । सम्मेतशिखरः जैनियों का यह परम माननीय तीर्थधाम है यहां से वीस तीर्थकर निर्वाण पधारे है। इस भूमि में कोई विशेषता अवश्य होनी ... चाहिए जिससे एक नहीं, बीस तीर्थङ्करों की निर्वाण भूमि होने का इसे सद् । भाग्य प्राप्त हुआ है। . मधुवन (पोस्ट-पारस नाथ ) से एक फर्लाङ्ग की दूरी से शिरवर जी के पहाड़ का चढ़ाव शुरु हो जाता है । इस पहाड़ को आजकल पार्श्वनाथ हिल कहते हैं । समस्त बंगाल में यह अत्यन्त प्रसिद्ध स्थान है। बंगाली जनता भी इसके प्रति प्रति श्रद्धाशील है। पहाड़ का चढ़ावं ६ मील है। ३ मील चढ़ने पर गन्धर्व नाला याता है । यहाँ से आधे मील की दुरीपर शीत ( सीता ) नाला है। यहां का जल मीठा और पाचक है । यहां से २।। मील यागे चढ़ने पर प्रथम गणधर देवलिका के दर्शन होते हैं। यहाँ चौर्यास गणधरों के चरणचिन्ह है। इसे गौतमन्वामी का मन्दिर कहते हैं। यहां से चंद्रप्रभु की टुक, मेघाडम्बर की टुक तथा जलमन्दिर की ओर जाने के मार्ग फुटते हैं। पहाइपर कुल ३ मन्दिर है। इनमें चौबीस तीर्थहरों के चौवीस मंदिर, शाश्वत जिनके ४ मदिर, गौतमादि गणधर की ? देवकुलफा, शुभस्वामी की
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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